मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018:  बीजेपी की रणनीति के आगे कमजोर नजर आ रहा है कांग्रेस का प्रबंधन, मुद्दों को लेकर भी कंफ्यूजन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (File Photo)

भोपाल: देश में कांग्रेस की कमजोरी का मूल कारण मुद्दों को लेकर उसकी दुविधा रही है, और कांग्रेस इससे अब तक उबर नहीं पाई है. मध्य प्रदेश के चुनाव से पहले उसकी दुविधा एक बार फिर सामने आ गई. कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में सरकारी भवनों के परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं लगाने पर रोक और सरकारी कर्मचारियों को शाखा में जाने की अनुमति रद्द करने का वादा किया, लेकिन भाजपा जैसे ही हमलावर हुई कांग्रेस अपनी पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए बैकफुट पर आ गई और सफाई देने में जुट गई. कांग्रेस पर हमेशा मुस्लिम परस्ती के आरोप लगे और कांग्रेस को तरह-तरह से सफाई देनी पड़ी, अब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिर-मठों में जाने को लेकर विरोधी उन पर हमला कर रहे हैं. इन हमलों पर कांग्रेस सफाई भरे अंदाज में अपने तरह से जवाब देने में लगी हुई है.

बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी उपलब्धियों से ज्यादा दिग्विजय सिंह के शासनकाल के हालातों को गिनाना शुरू कर दिया है और कांग्रेस उसका तार्किक जवाब देने की स्थिति में नहीं है. कांग्रेस ने वचन-पत्र में संघ के लेकर आमजन से वादा करने पर पूरी भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. बीजेपी के प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष राकेश सिंह से लेकर राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगा डाले.

यह भी पढ़े: दिग्विजय सिंह ने कहा- भगवान राम भी नहीं चाहेंगे कि विवादित स्थल पर मंदिर बने

संबित पात्रा ने संघ की शाखा को लेकर जाहिर की गई राय को राम मंदिर से जोड़ दिया और आरोप लगाया है कि कांग्रेस और उसके नेताओं का सिर्फ एक ही एजेंडा है, मंदिर नहीं बनने देंगे और शाखा नहीं चलने देंगे. संबित पात्रा ने आगे कहा कि कांग्रेस अयोध्या में मंदिर निर्माण के काम में भी रोड़े अटका रही है. सोनिया गांधी जहां राम को काल्पनिक किरदार बताती हैं, वहीं पार्टी के नेता और वकील कपिल सिब्बल इस मामले की सुनवाई टालने की बात करते हैं.

भाजपा ने जहां आक्रामक तेवर अपनाए वहीं कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ गया. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आनन-फानन में भाजपा के हमलों के बीच सफाई दे डाली. उन्हें स्पष्टीकरण तक देना पड़ गया. उन्होंने कहा है कि वचन पत्र में इस बात का उल्लेख है कि "शासकीय परिसरों में आरएसएस की शाखाऐं लगाने पर प्रतिबंद्घ लगाएंगे तथा शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों के शाखाओं में जाने संबंधी छूट के आदेश निरस्त करेंगे."

कमलनाथ ने वचन-पत्र में कही गई बात को संविधान के दायरे में होना बताया है. यह व्यवस्था वर्तमान में पूरे देश में लागू है और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और बाबूलाल गौर की सरकार के समय भी लागू थी.

राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि भाजपा की राजनीतिक रणनीति हमेशा कांग्रेस की ही कही गई बातों को मुद्दा बनाने की रही है, वचन पत्र में संघ को लेकर कही गई बात का मुद्दा बनाकर बीजेपी एक बार फिर राज्य में ध्रुवीकरण की चाल चलने की तैयारी कर रही है, जिसमें कांग्रेस फंसती नजर आ रही है. बीजेपी संघ को लेकर किए गए वादे को राम मंदिर से जोड़ रही है, कांग्रेस की नादानी है कि, वह सफाई देने पर उतर आई है, आने वाले दिनों में कांग्रेस इस मसले पर और उलझेगी, इसे नकारा नहीं जा सकता.

कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में सरकारी भवनों के परिसर में शाखा लगने को लेकर प्रतिबंध लगाने और कर्मचारियों को शाखा में न जाने देने का वादा किया है तो उसे (कांग्रेस) स्वीकारना चाहिए, मगर वह सफाई देने के रास्ते पर उतर आई है. इसका फायदा उठाने से भाजपा चूकेगी नहीं. ऐसे में कांग्रेस दुविधा एक बार फिर जाहिर हुई है, जिसकी वजह से उसे नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.