नयी दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला निर्णायक जनादेश एक नये भारत के लिए लोगों की ओर से किया गया आह्वान है, जहां सभी की प्रगति हो और देश वैश्विक वृद्धि के इंजन के रूप में खुद को तब्दील करे। कोविंद ने यहां बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री एवं उनकी मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले विदेशी सरकारों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों के सम्मान में आयोजित एक भोज को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह जनादेश काफी आगे चल कर नहीं, बल्कि यहां और अभी से एक नये भारत के निर्माण के लिए मोदी की दूरदृष्टि वाले नेतृत्व की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जनादेश एक ऐसे भारत के लिए हमारे लोगों की ओर से आह्वान है, जहां सभी के लिए प्रगति हो और कोई भी पीछे नहीं छूटे, एक ऐसा भारत जो आने वाले दशक में अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन करे और हर बालिका की संभावनाओं को साकार करे, एक ऐसा भारत जो नये दौर की प्रौद्योगिकी और अपने युवा की असीम ऊर्जा का लाभ उठाने के लिए काम कर रहा है। ’’
राष्ट्रपति ने कहा कि यह एक ऐसे भारत के लिए आह्वान है जो अपने बेहतर भविष्य की रूपरेखा तैयार करते वक्त समृद्ध अतीत के साथ गहरा संपर्क बनाने की इच्छा रखता है...और एक भारत जो खुद को वैश्विक वृद्धि और वैश्विक शक्ति संबंध के एक केंद्र के रूप में तब्दील कर रहा है।
कोविंद ने कहा कि हमारे लोगों में आकांक्षाओं का संचार हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘वे लोग खुद के लिए और अपने बच्चों के लिए निरंतर ही एक बेहतर जीवन हासिल कर रहे हैं। सुशासन, समान अवसर और लोगों के उपयोग की वस्तुओं एवं सेवाओं को प्रभावी एवं न्यायसंगत तरीके से प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।’’
उन्होंने कहा कि मोदी एक ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं जो नि:स्वार्थ और अथक तरीके से सेवा करना जारी रखेगी ताकि इन आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके और हमारे नागरिकों को गरिमा एवं सम्मान का जीवन मिले। कोविंद ने कहा कि भारत का सपना अपने अकेले के लिए नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘... हिंद महासागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक और साझा संबंध तथा मध्य एशिया के आर्थिक अवसरों में हमारे लोग समान आशा एवं आकांक्षाएं रखते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सदियों तक भारत एक बड़ी व्यापारिक प्रणाली के बीच की कड़ी रहा है जो मध्य एशिया से लेकर हिंद महासागर तक संचालित होता है। कोविंद ने कहा, ‘‘यह हमारी विरासत है और यह हमारा भविष्य भी है। हमारे सभी लोगों के लिए और वैश्विक समुदाय के लिए हमें अपने क्षेत्र और इससे आगे शांति एवं समृद्धि लाने के लिए अवश्य ही साथ मिल कर काम करना चाहिए। हमारे देश एक दूसरे की प्रगति और भलाई में हितधारक बने रहेंगे।’’