दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद देश की नजरें बिहार विधानसभा चुनाव पर हैं. इस साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत हुई. दिल्ली विधानसभा चुनाव समेत कई चुनावी जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) अब बिहार विधानसभा चुनाव क्या रोल निभाते हैं यह देखने वाली बात होगी. प्रशांत किशोर सटीक राजनीति करने वाले रणनीतिकार मानें जाते हैं. निश्चित ही उनके समर्थक भी काफी ज्यादा है और जेडीयू और सीएम नीतीश कुमार से उनकी नाराजगी जगजाहिर है. मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में पीके ने कई ऐलान किए. जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होने के बाद प्रशांत किशोर ने अब अपने अलग रास्ते का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका कहना यह है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत नहीं करेंगे ना ही वे किसी गठबंधन का प्रचार करने वाले हैं.
प्रशांत किशोर ने भले ही किसी पार्टी का ऐलान नहीं किया हो लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका अहम रहने वाली है. इस बीच पीके ने लोगों की बात जानने का प्लान बनाया है. 20 फरवरी से पीके एक कैंपेन लॉन्च करने जा रहे हैं जिसका नाम होगा 'बात बिहार की'. इस दौरान बिहार को देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल करने के लिए चर्चा की जाएगी. प्रशांत किशोर ने यह बात साफ कर चुके हैं कि वे बिहार में किसी पार्टी का प्रचार या किसी पार्टी की मदद नहीं करेंगे न हीं वे कोई पार्टी बनाने जा रहे हैं. लेकिन बिहार के लिए उनका कुछ अलग प्लान है वह यह पहले ही कह चुके हैं.
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अगले दो-तीन महीनों में बदलेगी रणनीति
प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा कि बिहार के लिए हमने जो भी खासा प्लान बना रखा है, वो आने वाले दो तीन महीनों में लोगों को साफ दिखाई देगा. अब इन दो तीन महीनों में प्रशांत किशोर ऐसा कौनसा तीर चलाने वाले हैं जो बिहार चुनाव का रूख बदले दे यह देखने वाली बात है. नीतीश कुमार का विरोध करने वाले प्रशांत किशोर के समर्थन में आरजेडी, आरएलएसपी और कांग्रेस दिखाई दे रही हैं.
NDA को होगा फायदा?
संभव है कि बिहार चुनाव से पहले प्रशांत किशोर का मन बदल जाए और वे NDA के विरोध में चुनावी मैदान में उतर आएं. हालांकि एक संभावना यह भी है कि पीके अगर NDA के विरोध में चुनाव लड़ते हैं तो इसका फायदा NDA को ही होगा. प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने से नीतीश विरोधियों का एक बड़ा तबका पीके के साथ आ जाएगा, इससे NDA विरोधियों के वोट बंद जाएंगे जिसका फायदा NDA को होगा.
उल्लेखनीय है कि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना चेहरा घोषित कर चुकी है. वहीं आरजेडी का चुनावी चेहरा तेजस्वी यादव हैं. आरएलएसपी से उपेंद्र कुशवाहा चेहरा हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने जेडीयू के लिए रणनीति बनाई थी इस बार वे जेडीयू के ही विरोध में चले गए हैं. उन्होंने वर्ष 2015 में महागठबंधन की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी. इस चुनाव में पीके की भूमिका को जेडीयू के विरोध में नई चुनावी धार दे रही हैं.