PM मोदी ने लिखा ब्लॉग- नकारना, अपमानित करना और धमकाना कांग्रेस की कार्यशैली
लोकसभा चुनावों के पास आते ही देश की सियासत गरमा गई है. सभी राजनीतिक दल और नेता अपने विरोधियों पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को एक ब्लॉग लिखकर कांग्रेस पर वंशवाद सहित कई आरोप मढ़े और जमकर निशाना साधा.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के पास आते ही देश की सियासत गरमा गई है. सभी राजनीतिक दल और नेता अपने विरोधियों पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को एक ब्लॉग लिखकर कांग्रेस पर वंशवाद सहित कई आरोप मढ़े और जमकर निशाना साधा.
पीएम मोदी ने बुधवार सुबह ब्लॉग लिखकर कहा की कांग्रेस वंशवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी है. और वह एक वंश की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. कांग्रेस ने 42वें संविधान संशोधन के जरिए अदालतों पर अंकुश लगा दिया. साथ ही संसद और अन्य संस्थाओं को भी नहीं बख्शा गया.
उन्होंने लिखा “अदालतों की अवमानना करने में तो कांग्रेस ने महारत हासिल कर ली है. श्रीमती इंदिरा गांधी ही थीं, जो “Committed Judiciary” यानि 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' चाहती थीं। वो चाहती थीं कि अदालतें संविधान की जगह एक परिवार के प्रति वफादार रहें. 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' की इसी चाहत में कांग्रेस ने भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की नियुक्ति करते समय कई सम्मानित जजों की अनदेखी की.”
प्रधानमंत्री ने लिखा कि “कांग्रेस के काम करने का तरीका एकदम साफ है - पहले नकारो, फिर अपमानित करो और इसके बाद धमकाओ. यदि कोई न्यायिक फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो वे इसे पहले नकारते हैं, फिर जज को बदनाम करते हैं और उसके बाद जज के खिलाफ महाभियोग लाने में जुट जाते हैं.”
“पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपनी एक टिप्पणी में योजना आयोग को ‘A bunch of jokers’ यानि ‘जोकरों का समूह’ कहा था. उस समय योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह थे. उनकी इस टिप्पणी से साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस सरकारी संस्थाओं के प्रति किस प्रकार की सोच रखती है और कैसा सलूक करती है.”
पीएम मोदी ने आगे लिखा “यूपीए शासन के दौर को याद कीजिए, उस समय कांग्रेस ने CAG पर सिर्फ इसलिए सवाल उठाए थे, क्योंकि उसने कांग्रेस सरकार के 2G घोटाला, कोयला घोटाला जैसे भ्रष्टाचार को उजागर किया था. यूपीए शासन के समय में CBI कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन बनकर रह गई थी- लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के खिलाफ इसका बार-बार दुरुपयोग किया गया.”
इसके साथ ही उन्होंने कहा “आईबी और RAW जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों में जानबूझकर तनाव पैदा किया गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णय को एक ऐसे व्यक्ति ने फाड़ दिया था, जो कैबिनेट का सदस्य भी नहीं था और वह भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान. इसके अलावा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) को प्रधानमंत्री कार्यालय के समानांतर खड़ा कर दिया गया था. और वही कांग्रेस आज संस्थानों की बात करती है!"