नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट: बीजेपी के मनोज तिवारी और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बीच होगी कांटे की टक्कर, जानें सीट का पूरा इतिहास
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट (Photo Credits: File Photo)

North East Delhi Lok sabha Seat: देश की राजधानी दिल्ली में कुल सात लोकसभा सीटें हैं . जिन सीटों पर छठें चरण में 12 मई को वोट डालें जाएंगे. इन प्रमुख सीटों में एक नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट है. इस सीट से अभिनेता से नेता बने मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) सांसद है. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है. तो वहीं कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन नहीं हो पाने पर कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली की अध्यक्ष व इस राज्य से तीन बार सीएम रह चुकी शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं इन दोनों नेताओं को कड़ी टक्कर देने के लिए आप पार्टी ने दिलीप पांडे (Dilip Pandey) को इस चुनाव के रण में उतारा है. ऐसे में इन तीनों उम्मदीवारों में त्रिकोणी मुकाबला होने वाला है. राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस- आप के बीच गठबंधन नहीं होने पर आम पार्टी कांग्रेस का खेल इस सीट से बिगाड़ सकती है.

2014 में मोदी लहर के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस सीट से मनोज तिवारी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था. जिनके सामने कांग्रेस ने जय प्रकाश अग्रवाल को उतारा था. तो वहीं आम आदमी पार्टी ने प्रोफेसर आनंद कुमार को चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन मोदी लहर के चलते मनोज तिवारी ने जीत हासिल करते हुए कमल का फूल खिलाया. यह भी पढ़े: आचार संहिता का उल्लंघन मामला, चुनाव आयोग ने गौतम गंभीर को भेजा कारण बताओ नोटिस

2014 के आंकड़े

बीजेपी- मनोज तिवारी - 5,96,125

कांग्रेस- जय प्रकाश अग्रवाल - 4,52,041

आप -प्रोफेसर आनंद कुमार -2,14,792

कुल विधानसभा सीटें

जनसंख्या के हिसाब से इस लोकसभा सीट पर सबसे बड़ा क्षेत्र है. इसलिए इस संसदीय सीट के अंतर्गत 10 विधानसभा की सीटें है. जिसमें बुराड़ी, रोहताश नगर, बाबरपुर, तिमारपुर, सीलमपुर, गोकलपुर, सीमापुरी, घोंडा, मुस्तफाबाद और करवाल नगर शामिल हैं.

बता दें कि इस लोकसभा सीट पर जहां छठें चरण के दौरान 12 मई को मतदान होगा. वहीं इन वोटों की गिनती 23 मई को की जाने वाली है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि मनोज तिवारी जहां दूसरी बार इस सीट से अपनी किस्मत अजमा रहें है. वहीं दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित किस्मत भी दाव पर लगी है. यदि उन्हें इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा तो शीला दीक्षित के साथ ही कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जाएगा.