नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मणिपुर जलापूर्ति परियोजना की आधारशिला रखी. इस परियोजना की लागत 3054.58 करोड़ रुपये है. पीएम ने कहा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मणिपुर के करीब 25 लाख गरीब भाई-बहनों को मुफ्त अनाज मिला है. इसी तरह डेढ़ लाख से अधिक बहनों को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर की सुविधा दी गई है. पीएम ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट में देश के विकास का ग्रोथ इंजन बनने की क्षमता है. दिनों-दिन मेरा ये विश्वास इसलिए गहरा हो रहा है क्योंकि अब पूरे नॉर्थ ईस्ट में शांति की स्थापना हो रही है.
पीएम मोदी ने कहा कि इस बार पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत को दोहरी चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है. नार्थ ईस्ट में फिर इस साल भारी बारिश से बहुत नुकसान हो रहा है. अनेक लोगों की मृत्यु हुई है, कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है.
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इस बार पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत दोहरी चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। नार्थ ईस्ट में फिर इस साल भारी बारिश से बहुत नुकसान हो रहा है। अनेक लोगों की मृत्यु हुई है, कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है: पीएम मोदी
— BJP (@BJP4India) July 23, 2020
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये प्रोजेक्ट आज की ही नहीं बल्कि अगले 20-22 साल तक की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इस प्रोजेक्ट से लाखों लोगों को घर में पीने का साफ पानी तो उपलब्ध होगा ही, हज़ारों लोगों को रोज़गार भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि आज स्थिति ये है कि देश में करीब एक लाख वॉटर कनेक्शन हर रोज दिए जा रहे हैं। यानि हर रोज एक लाख माताओं-बहनों के जीवन से पानी की इतनी बड़ी चिंता को हम दूर कर रहे हैं, उनका जीवन आसान बना रहे हैं. यह भी पढ़ें: Assam Floods: बाढ़ में बह गए डिब्रूगढ़ के दो गांव, 95 परिवार शेल्टर होम में रहने को मजबूर, अब तक 89 की मौत
ANI का ट्वीट-
एक तरफ जहां मणिपुर में ब्लॉकेड इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं, वहीं असम में दशकों से चला आ रहा हिंसा का दौर थम गया है।
त्रिपुरा और मिज़ोरम में भी युवाओं ने हिंसा के रास्ते का त्याग किया है। अब ब्रू-रियांग शरणार्थी एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ रहे हैं: पीएम मोदी https://t.co/P5PeSAERGk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 23, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि एक तरफ जहां मणिपुर में ब्लॉकेड इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं, वहीं असम में दशकों से चला आ रहा हिंसा का दौर थम गया है. त्रिपुरा और मिज़ोरम में भी युवाओं ने हिंसा के रास्ते का त्याग किया है। अब ब्रू-रियांग शरणार्थी एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ रहे हैं.