Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री का आरोप,
ज्योतिरादित्य सिंधिया (Photo Credits: Facebook)

राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) पर हमला बोलते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने बुधवार को आरोप लगाया कि सिंधिया अपनी विभिन्न मांगें पूरी कराने के लिये सूबे में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस की पिछली सरकार पर अनुचित दबाव बनाते थे. सिंधिया मार्च में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और वह संसद के ऊपरी सदन के लिये चुने गये हैं. पटवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, "सिंधिया हमारे साथ (पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार) भी  ब्लैकमेलिंग करते थे और यही ब्लैकमेलिंग अब मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के साथ भी होने लगी है."

पटवारी, प्रदेश कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग के प्रमुख भी हैं. उन्होंने कहा, "(भाजपा में शामिल होने के बाद) सिंधिया ने भ्रष्टाचार की बातें की हैं और इस सिलसिले में (पूर्व मुख्यमंत्री) कमलनाथ पर आरोप भी लगाये हैं. लेकिन आपने तत्कालीन कमलनाथ सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में एक संस्था के लिये 100 एकड़ जमीन आवंटित करा ली थी. मैं भी मंत्री के तौर पर इस बैठक का हिस्सा था." पटवारी ने हालांकि कथित जमीन आवंटन मामले का विशिष्ट और विस्तृत ब्योरा नहीं दिया. लेकिन इस मामले में सिंधिया पर निशाना साधते हुए सवाल दागा, "यह (कथित जमीन आवंटन) भ्रष्टाचार था या जनसेवा थी?" इंदौर के राऊ क्षेत्र के कांग्रेस विधायक ने कहा, "सिंधिया ने (दल बदल कर) बता दिया है कि वह विपक्ष में रहकर बहादुरी से लड़ नहीं सकते और उनके मन में डर है. यह भी पढ़े: Jyotiraditya Scindia in Gwalior: BJP सदस्यता अभियान के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी आपका विश्वास और प्यार है  

वह बेनकाब हो गये हैं. इस सवाल का जवाब जनता ही देगी कि वह खुद्दार हैं या ‘गद्दार’?" पटवारी ने राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिजली बिलों की रकम 200 रुपये तक सीमित करने और हाल की भारी बारिश व कीटों से सोयाबीन की खड़ी फसल की बर्बादी झेल रहे किसानों को 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा देने की मांग भी की. उन्होंने चेताया, "सूबे की भाजपा सरकार ने हमारी ये मांगें नहीं मानीं, तो कांग्रेस आम लोगों के हित में सड़क पर उतरकर चक्काजाम करेगी." गौरतलब है कि सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी थी. इस कारण कमलनाथ को 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च को सत्ता में लौट आयी थी.

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