लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) के तारीखों का ऐलान हो चुका है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां टिकट देने को लेकर गुणा गणित करना शुरू दी है. उत्तर प्रदेश से बीजेपी (BJP) की तरफ से जो खबर आ रही है. उसके अनुसार इस लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा के गठबंधन को देखते हुए जीत को लेकर बीजेपी किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहती है. ऐसे में सूत्रों के हवालों से कहा जा रहा है कि बीजेपी अपने करीब 28 सांसदों का टिकट काट कर नए उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है.
खबरों की माने तो उत्तर प्रदेश से बीजेपी के जिन सांसदों का टिकट काटने वाला है. दिल्ली में हुई संसदीय दल की बैठक में इसका फैसला हो चुका है. दरअसल इन सांसदों का टिकट काटने के पीछे हवाला दिया जा रहा है कि पार्टी इस बार जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही अपना दांव लगाएगी. यही कारण है कि सांसदों की रिपोर्ट कार्ड तैयार की गई है, उसमें जातीय समीकरण और प्रत्याशी के रिपोर्ट कार्ड पर खास फोकस किया गया है. यह भी पढ़े: लोकसभा चुनाव 2019: उत्तर प्रदेश में अखिलेश-मायावती की जोड़ी बीजेपी को दे सकती है कड़ी टक्कर!
इन सांसदों का कट सकता है टिकट !
सलेमपुर- रविंद्र कुशवाहा, बलिया-भरत सिंह, कुशीनगर- राजेश पांडेय, भदोही- वीरेंद्र सिंह, राबर्ट्सगंज- छोटेलाल खैरवार, जौनपुर- कृष्णाप्रताप, मछलीशहर- रामचरित्र निषाद, - हरिनारायण राजभर, बस्ती- हरीश द्विवेदी, संतकबीरनगर- शरद त्रिपाठी, अकबरपुर -देवेंद्र सिंह, घोसी-हरिनारायण राजभर इलाहाबाद-श्यामाचरण गुप्ता, अंबेडकरनगर- हरिओम पांडेय, बहराइच- सावित्री बाई फूले, श्रावस्ती- दद्दन मिश्रा, हरदोई- अंशुल वर्मा, मिश्रिख- अंजू बाला, आंवला- धर्मेंद्र कश्यप, इटावा- अशोक दोहरे, फतेहपुर-निरंजन ज्योति, फतेहपुर सिकरी- चौधरी बाबूलाल, हमीरपुर- कुंवर पुष्पेंद्र सिंह, रामपुर- नैपाल सिंह, धौरहरा- रेखा वर्मा, संभल- सत्यपाल सिंह सैनी, मेरठ- राजेंद्र अग्रवाल, उन्नाव- साक्षी महराज, बाराबंकी- प्रियंका रावत. यह भी पढ़े: अभिनेत्री मौसमी चटर्जी बीजेपी में हुई शामिल, 2004 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुकी हैं लोकसभा चुनाव
राजनीति के जानकारों की माने तो पार्टी कुछ नेताओं का टिकट जहां उनके वर्क रिपोर्ट को देखकर इस बार टिकट नहीं देना चाहती है वहीं, कुछ ऐसे नेता है जिनकी उनके इलाके में पकड कमजोर हुई है. उन नेताओं का भी टिकट कट सकता है. हालांकि राजनीति के जानकारों का एक ये भी तर्क है कि 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर थी लेकिन, इस बार माहौल कुछ अलग है. ऐसा इसलिए इस बार मायावती और अखिलेश एक साथ चुनाव लड़ रहे है. इन दोनों नेताओं के गठबंधन को देखते हुए भी बीजेपी डरी हुई है. इसलिए बीजेपी उत्तर प्रदेश से इन नेताओं के टिकट ना देकर नया चेहरा उतरना चाहती है.
मोदी लहर में 71 सीटों पर मिली थी जीत
बता दें कि 2014 में मोदी लहर के चलते उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 71 सीटों पर जीत मिली थी वहीं, उनकी सहयोगी पार्टी अपना दल को दो सीट पर जीत मिली थी. बाकी 5 सीट पर सपा और कांग्रेस 2 सीट पर कांग्रेस जीत हासिल की थी.