पणजी: सत्तारूढ़ बीजेपी का कहना है कि गोवा में खनन सेक्टर के बंद होने से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) और विधानसभा की तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनकी जीत की संभावना पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. उच्चतम न्यायालय द्वारा 88 पट्टों को रद्द करने और लौह अयस्क को निकालने पर लगे प्रतिबंध के बाद खनन पर पिछले साल मार्च से रोक लगी हुई है. कई कार्यकर्ता और समूह खनन को फिर से शुरू कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
इनका कहना है कि खनन उद्योग पर निर्भर रहने वाले करीब दो लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं. बीजेपी ने मौजूदा सांसद श्रीपद नाइक और नरेंद्र सवाइकर को क्रमश: उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा से उम्मीदवार बनाया है. प्रियोल में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान नाइक ने कहा, ‘‘ हम खनन मुद्दों का हल नहीं निकाल सके क्योंकि इसमें उच्चतम न्यायालय भी शामिल है. लेकिन एक बार जैसे ही हम सत्ता में आएंगे तो इस मुद्दे को प्राथमिकता दी जाएगी.''
उन्होंने दावा किया कि यह मुद्दा चुनाव में बीजेपी को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘ जनता यह जानती है कि हमारी पार्टी इस मुद्दे का हल निकालने की कोशिश कर रही है. हम इसका हल तलाशने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'' बीजेपी विधायक और राज्य के बिजली मंत्री निलेश कबराल ने कहा कि इस मुद्दे का असर सत्तारूढ़ पार्टी पर नहीं होगा. वह कुरचोरेम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और यह खनन क्षेत्र का हिस्सा है.
बीजेपी के साउथ गोवा के उम्मीदवार नरेंद्र सवाइकर ने बताया कि उनकी पार्टी को खनन क्षेत्र से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. वहीं खनन पर निर्भर रहने वाले लोगों की शीर्ष इकाई गोवा माइनिंग पीपल्स फ्रंट (जीएमपीएफ) के अध्यक्ष पुटी गोवांकर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वह बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाएगी क्योंकि बीजेपी इस मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रही है.