वाशिंग्टन डीसी:- अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ( US President President Donald) के खिलाफ निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ( House of Representatives ) में सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में महाभियोग का प्रस्ताव पास हो गया. महाभियोग पास होने से पहले 10 घंटो तक संसद के निचले सदन ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में बहस हुई और उसके बाद पास हो गई. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को सत्ता से बेदखल करने के लिए उच्च सदन सेनेट में महाभियोग पेश किया जायेगा. डोनाल्ड ट्रंप पहले नेता ऐसे राष्ट्रपति नहीं जिनके खिलाफ महाभियोग जारी किया गया हो. इससे पहले साल 1998 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया चली थी. दरसल राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की के सेक्स स्कैंडल ने राजनीति में तूफान ला दिया था. मोनिका लेवेंस्की ने यौन उत्पीड़न के आरोप बिल क्लिंटन पर लगाए थे. जिसके बाद उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था. लेकिन वे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहें.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के खिलाफ वॉटरगेट स्कैंडल के मामले कार्रवाई की जाने वाली थी. लेकिन उससे पहले ही साल 1974 में पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन अपने पद से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि उन्हें आभास था कि सीनेट में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा. इस तरह से न्याय में बाधा डालने के कारण 'महाभियोग' के साथ अपमानजनक तरीके से समाप्त हुआ था. 1886 में एंड्रयू जॉनसन के खिलाफ भी महाभियोग लाया गया था. लेकिन उन्होंने भी अपनी कुर्सी बचा ली. अब अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नाम भी देश के इतिहास दर्ज हो गया है जिनपर महाभियोग लाया गया. यह भी पढ़ें:- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़ा झटका, हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में महाभियोग प्रस्ताव पास.
जानें पूरा मामल
महाभियोग की कार्रवाई का खतरा झेल रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति ने घंटों तक बहस के बाद पिछले सप्ताह ट्रंप के खिलाफ दो आरोपों को मंजूरी दी थी. पहला सत्ता का दुरुपयोग है जिसमें ट्रंप पर यूक्रेन पर 2020 के आम चुनावों में उनके संभावित राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन को बदनाम करने के लिए दबाव बनाने का आरोप है. दूसरा आरोप ट्रंप पर महाभियोग मामले में सदन की जांच में सहयोग नहीं करने का है. डोनाल्ड ट्रंप अगले महीने सीनेट में सुनवाई का सामना कर सकते हैं, लेकिन गौरतलब है कि निचले सदन में रिपब्लिकन का नियंत्रण है तथा ट्रंप भी रिपब्लिकन नेता हैं. ऐसे में ट्रंप को भरोसा है कि डेमोक्रेटों को उन्हें पद से हटाने के लिए जरूरी दो तिहाई सीनेटरों का समर्थन नहीं मिलेगा.