वरिष्ठ ने जम्मू एवं कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार द्वारा हटाने के निर्णय का समर्थन किया और कहा कि अनुच्छेद 370 एक गलती थी और जम्मू एवं कश्मीर को दिए विशेष दर्जे को समाप्त कर इसमें सुधार किया गया.
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यूएनजीए और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत सरकार के निर्णय के विरोध में पाकिस्तान का अभियान उसके पूरी तरह से दिवालिया होने की निशानी थी और जोर देते हुए कहा कि कश्मीर, भारत और इसके संविधान का आंतरिक मामला है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का काफी प्रयास किया और विश्व नेताओं को परमाणु युद्ध से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भी चेताया. साल्वे ने भारत सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को लेकर लिए गए निर्णय का समर्थन किया और इसे देश का आंतरिक मामला बताया.
साल्वे ने कथित रूप से यह भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारतीय क्षेत्र है और पाकिस्तानी वहां अवैध रूप से बस गए हैं. इसलिए पीओके विवादित क्षेत्र है, कश्मीर नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि ना केवल भारतीय संविधान बल्कि कश्मीर का संविधान भी इसे भारत का आंतरिक क्षेत्र बताता है. इसलिए कश्मीर की स्थिति को लेकर पाकिस्तानियों को छोड़ किसी को भी संदेह नहीं रहा.
साल्वे ने रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस के ऐतिहासिक फैसले के बाद लंदन में भारतीय उच्चायोग में पत्रकारों से कहा, "मुझे लगता है कि इसकी अनुमति देना एक गलती थी और इससे भी बड़ी गलती इस घाव को पकने की इजाजत देना था.
कभी-कभी आपको समस्याओं को उखाड़ फेंकना होता है और सरकार ने वही किया. इसे करने का एक ही तरीका इसे 'एक शॉट' में खत्म करने का था." रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस ने 1947 में बंटवारे के बाद हैदराबाद के निजाम से जुड़ी संपत्ति के मामले में भारत सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है.