कांग्रेस नेता के बिगड़े बोल- सरकार बनने पर BJP नेताओं को देंगे फांसी की सजा
कांग्रेस (Representational Image/ Photo Credits: ANI)

श्रीनगर: आतंकी घटनाओं की वजह से सुर्खियों में बने रहने वाले जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में 22 साल बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया है. दरअसल घाटी में राजनीतिक उठापटक के बीच राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे होने के बाद यह कदम उठाया गया. इस बीच संभावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सभी दल और नेता जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है. इसी के चक्कर में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस (Congress) के नेता शगीर सईद खान (Sagheer Saeed Khan) ने विवादित बयान दे दिया. शगीर ने बीजेपी नेताओं को फांसी की सजा देने के साथ ही आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगो को जेल से रिहा करने की बात कही है. इस बयान के बाद जम्मू-कश्मीर का सियासी पारा बढ़ गया है.

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के पर्यवेक्षक शगीर खान ने यह वादा मीडिया से बातचीत के दौरान किया है. खान ने बीजेपी को जमकर कोसा और कहा की अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो उनकी पार्टी बीजेपी नेताओं को फांसी देने के लिए कानून बनाएगी. बीजेपी के जो नेता कश्मीर में हत्याओं के लिए जिम्मेदार होंगे, चाहे वह कितना बड़ा और ताकतवर नेता हो, उसे कानून के तहत फंदे पर लटकाया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी राज्य में निर्दोष लोगों के साथ अत्याचार कर रही है. अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है तो घाटी में मारे गए लोगों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इसके साथ ही उनके परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाएगी. वहीं संदेह में बंद किए गए आतंकियों को भी छोड़ दिया जाएगा.

गौरतलब हो कि बीते 21 नवंबर को एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भंग कर दिया. इससे पहले मुख्यधारा के तीन दलों ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया, वहीं, इसका विरोध करते हुए बीजेपी समर्थित पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था.

विधानसभा को भंग करने की घोषणा से तुरंत पहले पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया था. वहीं, बीजेपी भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी. दरअसल 87 सदस्यीय विधानसभा में पच्चीस सदस्यों वाली बीजेपी द्वारा समर्थन वापसी के बाद जून में महबूबा मुफ्ती सरकार अल्पमत में आने के बाद गिर गई थी.