
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के हालिया बयान पर कड़ा पलटवार किया है. यूनुस ने हाल ही में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को "लैंडलॉक्ड" बताया था और बांग्लादेश को इस क्षेत्र के लिए "समुद्री मार्ग का संरक्षक" करार दिया था.
जयशंकर ने इस दावे को खारिज करते हुए भारत की रणनीतिक भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत के पास बंगाल की खाड़ी में 6,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत न केवल पांच BIMSTEC सदस्य देशों से सीमा साझा करता है, बल्कि वह इस क्षेत्र में एक प्रमुख कनेक्टिविटी हब के रूप में उभर रहा है.
भारत की भू-सामरिक शक्ति पर जोर
जयशंकर ने कहा, "हमारे पास बंगाल की खाड़ी में सबसे लंबी तटरेखा है, जो लगभग 6,500 किमी लंबी है. भारत न केवल पाँच BIMSTEC सदस्यों से सीमा साझा करता है बल्कि यह भारतीय उपमहाद्वीप और ASEAN के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है. हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से BIMSTEC के लिए एक कनेक्टिविटी हब बन रहा है, जहां सड़कों, रेलवे, जलमार्ग, ग्रिड और पाइपलाइन का एक विस्तृत नेटवर्क विकसित किया जा रहा है."
मोहम्मद यूनुस का चीन दौरा और विवादित बयान
मोहम्मद यूनुस ने अपने हालिया चार दिवसीय चीन दौरे के दौरान कहा था कि भारत का पूर्वोत्तर "लैंडलॉक्ड" है और समुद्र तक इसकी कोई पहुँच नहीं है. उन्होंने बांग्लादेश को इस क्षेत्र के लिए "समुद्र का एकमात्र संरक्षक" बताया.
इसके अलावा, उन्होंने चीन को बांग्लादेश में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया. यूनुस की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई जब बांग्लादेश ने चीन के साथ नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए और 2.1 बिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज हासिल किया. उनके इन बयानों से विवाद खड़ा हो गया और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की.
पूर्वोत्तर राज्यों के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
यूनुस के बयान से पूर्वोत्तर भारत में भारी नाराजगी देखी गई. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे "आपत्तिजनक" और "निंदनीय" बताया.
सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा, "मोहम्मद यूनुस जैसे व्यक्तियों के ऐसे भड़काऊ बयान हल्के में नहीं लिए जाने चाहिए, क्योंकि ये गहरे रणनीतिक हितों और पुराने एजेंडों को दर्शाते हैं."
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यूनुस की टिप्पणियों ने "चिकन नेक" गलियारे को लेकर पुरानी बहस को फिर से हवा दी है. यह पश्चिम बंगाल का एक संकीर्ण भूभाग है जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ता है. सरमा ने कहा कि इस गलियारे की मजबूती के लिए रेलवे और सड़क नेटवर्क को और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है.
पूर्व मणिपुर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक "रणनीतिक मोहरे" के रूप में देख रही है. उन्होंने यूनुस को भारत की संप्रभुता पर "बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना" बयान देने से बचने की चेतावनी दी.
चीन से आर्थिक समझौते और भारत के लिए संकेत
अपने चीन दौरे के दौरान, यूनुस ने कई आर्थिक सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें बांग्लादेश की तीस्ता नदी परियोजना (Teesta River Comprehensive Management and Restoration Project - TRCMRP) भी शामिल है. उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और बीजिंग से बांग्लादेश की स्थिरता में "अधिक भूमिका" निभाने का आग्रह किया.
भारत लंबे समय से बांग्लादेश के बंदरगाहों, विशेष रूप से चटगांव पोर्ट, का उपयोग व्यापार और लॉजिस्टिक्स के लिए करता रहा है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान, भारत को चटगांव पोर्ट तक त्रिपुरा के सबरूम सब-डिवीजन के माध्यम से पहुँच दी गई थी, जो इस पोर्ट से केवल 75 किमी दूर स्थित है.
जयशंकर के "चेरी-पिकिंग" वाले बयान ने स्पष्ट कर दिया कि भारत किसी भी प्रकार की भ्रामक रणनीति को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि BIMSTEC जैसे बहुपक्षीय संगठनों को संकीर्ण एजेंडा से मुक्त रखना आवश्यक है.
यूनुस के बयान पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि पूर्वोत्तर भारत को "लैंडलॉक्ड" बताने की कोशिशें न केवल भ्रामक हैं, बल्कि इसके भू-रणनीतिक और कनेक्टिविटी महत्व को कम करके आंकने की कोशिश भी हैं.