Parliament Special Session History: भारत के संसदीय इतिहास में कितनी बार बुलाया गया विशेष सत्र? इस बार कौन सा बिल होगा पास

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस समय छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं, इसलिए वह लौटते ही विशेष सत्र बुलाने का आदेश जारी करेंगी. विशेष सत्र की खबर ने काफी राजनीतिक बहस छेड़ दी है, क्योंकि मानसून सत्र समाप्त होने के कुछ ही दिन बाद अचानक इसकी घोषणा की गई है.

(Photo Credits ANI=

Parliament Special Session History: सरकार ने कुछ विशेष विधायी कामकाज होने की अटकलों के बीच 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है. सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि विशेष सत्र के दौरान कोई प्रश्‍नकाल, कोई शून्यकाल और कोई निजी सदस्य कार्य नहीं होगा.

सूत्रों ने आगे कहा कि राष्ट्रपति, जो आम तौर पर संसद सत्र बुलाते हैं, संविधान के अनुच्छेद 85 (1) के तहत इस विशेष सत्र को भी बुलाएंगे. राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया और इसकी विधिवत जानकारी संसद को दी. One Nation-One Election! मास्टर स्ट्रोक की तैयारी में मोदी सरकार, संसद के विशेष सत्र में ला सकती है 'एक देश-एक चुनाव' बिल

सूत्रों ने कहा कि चूंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस समय छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं, इसलिए वह लौटते ही विशेष सत्र बुलाने का आदेश जारी करेंगी. विशेष सत्र की खबर ने काफी राजनीतिक बहस छेड़ दी है, क्योंकि मानसून सत्र समाप्त होने के कुछ ही दिन बाद अचानक इसकी घोषणा की गई है.

ऐसी संभावना है कि राष्ट्रपति नए संसद भवन में दोनों सदनों को संबोधित कर सकती हैं. सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार विशेष सत्र के दौरान भारत की जी20 अध्यक्षता और जी20 शिखर सम्मेलन पर चर्चा कर सकती है, जो 9 और 10 सितंबर को होने वाला है.

इस संदर्भ में यह जानना दिलचस्प होगा कि भारत के संसदीय इतिहास में ऐसे कितने विशेष सत्र हुए हैं. तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए फरवरी 1977 में दो दिनों के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया था.

इसके बाद अनुच्छेद 356(3) के प्रावधान के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए 3 जून, 1991 को एक और दो दिवसीय विशेष सत्र (158वां सत्र) आयोजित किया गया.

राज्यसभा के रिकॉर्ड के अनुसार, इन दोनों अवसरों पर, उच्च सदन की बैठक तब हुई जब लोकसभा भंग थी. यूपीए शासन के दौरान वामपंथी दलों द्वारा तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्‍वास मत के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था.

पिछली सरकारों ने संविधान दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे अन्य विशेष अवसरों को मनाने के लिए दोनों सदनों के कई विशेष सत्र और बैठकें बुलाई हैं.

सूत्रों ने बताया कि स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अगस्त 1997 से सितंबर 1997 तक संसद का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था.

इसके अलावा, कुछ अवसरों को मनाने के लिए संसद में कुछ विशेष बैठकें भी आयोजित की गई हैं. आइए, उन पर एक नजर डालते हैं :

संविधान दिवस मनाने के लिए 26 और 27 नवंबर, 2015 को विशेष बैठकें (विशेष सत्र से भ्रमित न हों) आयोजित की गईं.

हालांकि, इसके बाद 30 नवंबर, 2015 से नियमित शीतकालीन सत्र शुरू हुआ, इसलिए इन दो दिनों को विशेष बैठक के रूप में बुलाया गया.

9 अगस्त, 2017 को चल रहे मानसून सत्र के बीच भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी.

सूत्रों ने बताया कि मौजूदा शीतकालीन सत्र के बीच संविधान की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 26 नवंबर, 2019 को संसद के सेंट्रल हॉल में एक और विशेष बैठक आयोजित की गई थी.

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