मान जाओ वरना, ट्रंप की ईरान को दी गई चेतावनी का मतलब क्या है
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. वॉशिंगटन तेहरान को सीधी चेतावनी दे चुका है कि वह अपने छद्म लड़ाकों पर और परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण रखे, नहीं तो..अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को ईरान से कहा कि वह यमन में हूथी विद्रोहियों को समर्थन देना बंद करे. ट्रंप ने चेतावनी भरे लहजे में यह भी कहा कि, अगर हूथी विद्रोहियों ने कोई भी हमला किया तो वे तेहरान को जिम्मेदार ठहराएंगे.

हूथी, तेहरान के समर्थन वाले शिया मुस्लिम उग्रवादी हैं. वे 2014 से यमन के गृह युद्ध में लड़ रहे हैं. संर्घष की लपटों में घिरे यमन का बड़ा इलाका हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण में हैं. इन इलाकों में देश की राजधानी सना भी शामिल है.

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर लिखा, "हूथियों द्वारा फायर किए गए हर शॉट को अब इस लम्हे से, ईरान के नेतृत्व और असलहे से किए गए हमले के तौर पर देखा जाएगा, और उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे, और नतीजे भीषण होंगे!"

यमन में हूथी विद्रोहियों पर अमेरिकी हमले में 31 लोगों की मौत

ईरान लंबे समय से हूथी विद्रोहियों को समर्थन देने से इनकार करता रहा है.

कारोबारी जहाजों पर हूथियों के हमलों का जवाब

लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि तेहरान और शिया उग्रवादियों के बीच संबंध हैं. जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स (एसडब्ल्यूपी) की ईरान एक्सपर्ट हामिदरेजा अजिजी कहती हैं, "इराक में ईरान का समर्थन करने वाले गुटों के साथ ही हूथी विद्रोही भी, इलाके में सक्रिय ईरान के आखिरी छद्म गुट हैं."

अजिजी आगे कहती हैं, "ईरान में हो रही जो बातचीत मैं फॉलो कर पा रही हूं, उससे लगता है कि तेहरान में फैसले करने वाले कुछ लोग चाहते हैं कि हूथी, अमेरिका के किसी भी हमले का कड़ा जवाब दें और कमजोरी न दिखाएं. उनकी नजर में, हूथियों की सैन्य हार से तेहरान, अमेरिका के विरुद्ध रणनैतिक संतुलन खो देगा. और इसका अगला कदम ईरान पर सीधा हमला हो सकता है."

लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों का बीमा कौन करेगा

अक्टूबर 2023 को हमास के इस्राएल पर आतंकवादी हमले के बाद से इस्राएली सेना गाजा पट्टी में बड़े स्तर पर सैन्य कार्रवाई कर रही है. इस्राएली सेना के हमलों के विरोध में हूथी, 2023 के आखिर से लाल सागर और अदन की खाड़ी के पास व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं. अमेरिका ने तब से हूथियों को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है.

जनवरी 2025 में गाजा में महीने भर के संघर्ष विराम के दौरान जहाजों पर हूथियों के हमले नहीं हुए. लेकिन पिछले हफ्ते हूथियों ने इलाके में इस्राएली जहाजों पर हमले फिर बहाल करने का एलान किया है. इस एलान के बाद ट्रंप ने 15-16 मार्च को हूथियों पर हमला करने का आदेश दिया.

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर ट्रंप की युद्ध की चेतावनी

तेहरान ने अब तक अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ अपरोक्ष बातचीत की संभावनाओं को खारिज नहीं किया है. दोनों देशों के बीच 1980 से कोई कूटनीतिक संबंध नहीं हैं, लेकिन ईरान के नेतृत्व को ताजा स्थिति से पैदा होने वाले जोखिमों की भनक है.

मार्च की शुरुआत में, ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई को एक खत भेजा. इसमें ट्रंप ने कहा कि वे परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान से नए सिरे से बातचीत करना चाहते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने धमकी भी दी कि अगर उनकी पहल को नकारा गया तो सैन्य कार्रवाई भी संभव है.

अमेरिकी प्रसारक फॉक्स बिजनेस नेटवर्क को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, "दो विकल्प हैं: सैन्य कार्रवाई या एक समझौतावादी समाधान."

तेहरान ने ट्रंप का पत्र मिलने की पुष्टि की है लेकिन उस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने रविवार को कहा कि तेहरान अपनी प्रतिक्रिया पर विचार कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि ईरानी प्रशासन की ट्रंप के खत में लिखी गई बातों को जाहिर करने की कोई मंशा नहीं है.

एसडब्ल्यूपी की अजिजी कहती हैं, "हमें सटीक ढंग से नहीं पता कि खत क्या कहता है. लेकिन तेहरान से आ रही प्रतिक्रिया विरोधाभासी है."

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघाची के ताजा बयान की ओर इशारा करते हुए अजिजी ने कहा, "जब खमेनेई अमेरिका के साथ सीधी बातचीत को ठुकराते आ रहे हैं, तब भी लगता है कि तेहरान बातचीत के लिए अपरोक्ष दरवाजा खुला रखना चाहता है." मार्च की शुरुआत में एक स्थानीय अखबार से बात करते अराघाची ने कहा कि ईरान वॉशिंगटन के साथ संवाद के लिए अपरोक्ष चैनलों की समीक्षा कर रहा है.

ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से क्या बात कर रहा है ईरान

अजिजी कहती हैं, "लगता है कि ईरान शायद ट्रंप प्रशासन के साथ ऐसी बातचीत से पहले रखी जाने वाली शर्तों को लेकर फिक्रमंद है." अजिजी मानती हैं कि वॉशिंगटन तेहरान के सामने ये शर्तें रख सकता है कि वह अपने स्थानीय छद्म उग्रवादी गुटों को समर्थन देना बंद करे और परमाणु व मिसाइल कार्यक्रम को भी खत्म करे.

विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसी शर्तें ईरान को बिल्कुल स्वीकार नहीं हैं. अजिजी कहती हैं, "मुझे लगता है कि ईरान अमेरिका से बात करना चाहता है, लेकिन बिना किसी पूर्व शर्त के. ऐसी सूरत में ईरान, चीन और रूस की तिपक्षीय बैठक की अहमियत पर भी ध्यान देना चाहिए. परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के दायरे के लिए, तेहरान, रूस और चीन का समर्थन भी पक्का करना चाहता है, इसी के साथ वह अमेरिका को संकेत भी देना चाहता है कि उसके पास वैकल्पिक साझेदार हैं."

तेहरान के साथ बीजिंग और मॉस्को की नजदीकी

पिछले हफ्ते, ईरान, रूस और चीन के वरिष्ठ राजनयिकों ने चीन की राजधानी बीजिंग में बैठक की. इस दौरान मॉस्को और बीजिंग ने तेहरान पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों को "अवैध" करार दिया. दोनों देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हो रहे विवाद को हल करने के लिए कूटनीतिक कोशिशें बढ़ाने की बात भी की.

ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्याकाल के दौरान, अमेरिका अकेले ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते से बाहर निकल गया था. अमेरिका के इस फैसले के साल भर बाद तेहरान ने धीरे धीरे अपनी परमाणु रिसर्च बढ़ानी शुरू कर दी.

कई लोगों को लगता है कि ईरान अब अभूतपूर्व रूप से परमाणु हथियार बनाने के करीब पहुंच चुका है.

विवाद के गंभीर होने की आशंका

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के मुताबिक, ईरान ने अति संवर्धित यूरेनियम का भंडार, खतरनाक स्तर तक हासिल कर लिया है. अब इसके सैन्य इस्तेमाल का रास्ता भी खुल सकता है.

एजेंसी के मुताबिक, नागरिक इस्तेमाल के लिए यूरेनियम को 60 फीसदी संवर्धित करना, ये भरोसे के लायक नहीं है. इसके बाद 60 फीसदी संवर्धित यूरेनियम को 90 फीसदी संवर्धित यूरेनियम में बदलना बहुत ही मामूली छलांग है. परमाणु बम बनाने केलिए यूरेनियम कम से कम 90 फीसदी संवर्धित होना चाहिए.

आईएईए के प्रमुख रफाएल ग्रोसी कहते हैं, "गैर परमाणु हथियारों वाले देशों में ईरान अकेला है, जो इस स्तर तक संवर्धन कर चुका है, इससे मुझे गहरी चिंता होती है."

तेहरान लगातार यह कहता आ रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण नागरिक उद्देश्य के लिए है.

हालांकि ईरानी राजनेताओं के हालिया बयान इस दावे का विरोध भी करते हैं. बीते महीनों में कुछ नेताओं ने देश की परमाणु नीति बदलने की मांग की तो कुछ ने परमाणु बम के संभावित विकास का संकेत सा दिया.

आईएईए के पूर्व सलाहकार बहरूज बयात ने डीडब्ल्यू से कहा, "2021 में हसन रोहानी का राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद से ईरान चेतावनियों पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गया है और अपने परमाणु कार्यक्रम को सौदेबाजी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है."

बयात ने आगे कहा, "अगर ये रणनीति जारी रहती है तो मामला और भड़क सकता है. हालांकि ऐसा कदम बहुत ही जोखिम भरा होगा. लेकिन इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता."

बयान के मुताबिक आने वाले हफ्ते निर्णायक होंगे, "चाहे बातचीत हो या टकराव, तेहरान की प्रतिक्रिया का मध्य पूर्व की शांति और स्थिरता पर गंभीर असर होगा."