हाई कोर्ट ने PMC बैंक से धन निकासी की सीमा खत्म करने के लिए याचिका पर विचार से किया इंकार
पीएमसी बैंक/मुंबई पुलिस (Photo Credit: PTI)

उच्चतम न्यायालय (High Court) ने पीएमसी बैंक से धन निकासी पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित की गयी सीमा खत्म करने के लिये इस बैंक के खाताधारकों की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने से इंकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम अनुच्छेद 32 (रिट अधिकार क्षेत्र) के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहते. याचिकाकर्ता उचित राहत के लिए संबंधित उच्च न्यायालय जा सकते हैं. ’’

पंजाब एंड महाराष्ट्र (Punjab and Maharashtra) सरकारी बैंक में 4,355 करोड़ रूपए के घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद रिजर्व बैंक ने इसके वित्तीय लेनदेन पर कुछ प्रतिबंध लगा दिये हैं. इन प्रतिबंधों के तहत बैंक के ग्राहक छह महीने की अवधि में इससे 40,000 रूपए तक ही निकाल सकते हैं. इस प्रतिबंध से बैंक के ग्राहकों में घबराहट फैल गयी है. इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस स्थिति की गंभीरता से परिचित है और प्रवर्तन निदेशालय दोषी व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर रहा है.

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याचिकाकर्ता बेजोन कुमार मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शशांक सुधी ने पीठ से कहा कि उन्होंने पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक के 500 खाताधारकों की ओर से याचिका दायर की है जिसमें नकदी निकालने पर आरबीआई की ओर से लगाई रोक को हटाने का अनुरोध किया गया है. पीएमसी बैंक घोटाले के बाद इसके एक खाता धारक ने मंगलवार को मुंबई में कथित रूप से आत्महत्या कर ली जबकि अपना धन वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद एक अन्य ग्राहक का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

इस याचिका में कहा गया था कि जनता द्वारा विभिन्न सहकारी बैंकों और राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करायी गयी अपनी मेहनत की कमाई को पूरी तरह सुरक्षित करने के लिये जमा राशि का शत प्रतिशत बीमा कराने का निर्देश केन्द्र और रिजर्व बैंक को दिया जाये.

इसी तरही, इन बैंकों के कामकाज में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की जाये जो सभी सहकारी बैंकों की कार्यशैली पर विचार करे. बैंक के नौ हजार करोड़ रूपए के ऋण का 70 फीसदी हिस्सा अकेले रियल इस्टेट फर्म एचडीआईएल के पास था. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा से एचडीआईएल का कर्ज ‘गैर निष्पादित संपत्ति’ बनकर रह गया था लेकिन बैंक प्रबंधकों ने इस तथ्य को रिजर्व बैंक की जांच पड़ताल से छिपा लिया था.