Haryana Crisis: खतरे में सैनी सरकार? कांग्रेस विधायक दल ने राज्यपाल से मांगा मिलने का समय
Haryana CM Nayab Singh Saini | X

चंडीगढ़: चुनावी मौसम में हरियाणा में खूब सियासी हलचल मची हुई है. हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार से मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है. इन तीनों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. अब पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी बीजेपी के खिलाफ साथ खड़े हो गए हैं. दुष्यंत चौटाला ने नायब सैनी सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस को खुला ऑफर दिया है. दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि अगर अल्पमत में आई हरियाणा की सरकार को अगर गिराया जाता है, तो वह कांग्रेस के साथ है. इस बीच कांग्रेस विधायक दल ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. Haryana Crisis: दुष्यंत चौटाला ने की फ्लोर टेस्ट की मांग, कहा- सरकार गिराने में देंगे कांग्रेस का साथ.

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या विपक्ष की इस चहलकदमी से बीजेपी सरकार गिर जाएगी? आंकड़ो के गणित को समझे तो हरियाणा में फिलहाल बीजेपी की सरकार को खतरा नहीं है. उधर बीजेपी का भी दावा है कि कई विधायक उनके संपर्क में है. बीजेपी ने 47 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है. हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. अब विधानसभा चुनाव तक हरियाणा में अल्पमत की सरकार चलेगी. यानी 4 महीने तक सैनी सरकार पर खतरा नहीं है.

सरकार पर संकट नहीं

हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की मौजूदा क्षमता 88 है. विधानसभा में बीजेपी के 40, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10, 6 निर्दलीय, 1 विधायक इनोले और 1 विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी से है.

बीजेपी के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 40 विधायक अपने और तीन अन्य विधायक हैं. बीजेपी ने जेजेपी के भी चार विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. तीन निर्दलीय और जुड़े तो ये संख्या 33 हो जाती है. जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ तो फिलहाल जाने वाले नहीं हैं क्यों कि JJP में आंतरिक फूट है और अगर ये विधायक जाते भी हैं तो ये संख्या 43 होगी

सबसे अहम बात यह है कि कांग्रेस अभी सदन में बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए नहीं कह सकती है. क्योंकि 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है और नियम है कि इसके छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है. यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव कोई नहीं ला सकता है और सरकार तब तक सुरक्षित है.