चंद दिनों में हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2019) होने वाले है. 80 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में 21 अक्टूबर को एक चरण में मतदान होंगे. इसके लिए चुनाव आयोग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. हालांकि सूबे में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है. लेकिन पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) भी टक्कर देने के लिए मजबूत स्थिति में है.
पॉलिटिकल पंडितों के मुताबिक ‘मोदी’ लहर ने 2014 की तरह ही 2019 में भी मोदी सरकार को प्रचंड जीत दिलाई. देश के लगभग हर राज्य में जहां बीजेपी ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया. इसका सबसे ताजा उदाहरण त्रिपुरा है जहां कांग्रेस के वोट-शेयर बीजेपी की ओर चले गए. परिणामस्वरूप राज्य में वाम सरकार का पतन हो गया और पूर्वोत्तर में पहली बार बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ गई.
हरियाणा में बीजेपी, कांग्रेस, आईएनएलडी और बीएसपी का वोट शेयर (प्रतिशत में)-
बीजेपी | कांग्रेस | आईएनएलडी | बीएसपी | ||
2009 | लोकसभा | 12.1 | 41.77 | 15.8 | 15.7 |
विधानसभा | 9.04 | 35.08 | 25.79 | 6.73 | |
2014 | लोकसभा | 34.84 | 22.99 | 24.43 | 4.6 |
विधानसभा | 33.2 | 20.58 | 24.11 | 4.37 | |
2019 | लोकसभा | 58.02 | 28.42 | 1.89 | 3.64 |
उधर, इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों में हरियाणा में आईएनएलडी (INLD) का वोट शेयर तेजी से घटा है. यहां तक कि यह आईएनएलडी को राज्य में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से करीब आधे वोट मिले. चुनाव आयोग के अनुसार 2014 में हुए आम चुनाव और विधानसभा चुनावों में आईएनएलडी ने 24 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89 प्रतिशत से भी कम वोट मिले. बीएसपी को कुल 3.6 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ.
हालांकि ओम प्रकाश चौटाला के पोते और आईएनएलडी नेता करण चौटाला का दावा है कि लोकसभा चुनावों को राज्य के चुनावों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है. उनकी पार्टी विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आश्वस्त है.
उल्लेखनीय है कि आईएनएलडी हरियाणा की राजनीति में बड़ा नाम है. लेकिन पिछले कुछ चुनावों से यह पार्टी लगभग गायब दिखी. साथ ही चाचा अभय चौटाला के साथ 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले तनातनी बढ़ने की वजह से दुष्यंत चौटाला को पार्टी से बाहर जाना पड़ा. इसके बाद उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नाम से एक नई पार्टी बनाई. इस बंटवारें का फायदा भी बीजेपी को मिलना तय माना जा रहा है.