श्रीलंका की राजनीति में एक नया और ऐतिहासिक मोड़ तब आया जब 54 वर्षीय हरिनी अमरासूर्या को देश की 16वीं प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. हरिनी अमरासूर्या, जो कभी दिल्ली के हिंदू कॉलेज की बेंचों पर बैठकर पढ़ाई करती थीं, अब श्रीलंका की सत्ता की बागडोर संभालेंगी. उनके इस ऐतिहासिक पद पर नियुक्ति ने हिंदू कॉलेज को गर्व से भर दिया है, जो अब तक कई महत्वपूर्ण शख्सियतों को देश को दे चुका है.
हिंदू कॉलेज की गौरवशाली पूर्व छात्रा
हरिनी अमरासूर्या (Harini Amarasuriya) ने हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. कॉलेज की प्रधानाचार्या अंजू श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहा, "यह हमारे कॉलेज के लिए एक गर्व का पल है. हरिनी अमरासूर्या एक बेहद कुशल अकादमिक और राजनेता हैं, जिन्होंने हिंदू कॉलेज की परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ाया है."
शिक्षा और राजनीतिक सफर
कोलंबो में जन्मी और पली-बढ़ी हरिनी अमरासूर्या ने हिंदू कॉलेज से अपनी स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया से मास्टर्स और एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से सामाजिक मानवविज्ञान में पीएचडी की. वह श्रीलंका की तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं, और उन्होंने 2020 में नेशनल पीपल्स पावर (NPP) पार्टी के माध्यम से संसद सदस्य का पद संभाला.
एकेडेमिक्स से राजनीति की ओर
हरिनी अमरासूर्या एकेडमिक्स से राजनीति में आई हैं और उन्होंने युवा, राजनीति, असहमति, सामाजिक सक्रियता, लैंगिक मुद्दों, विकास, और राज्य-समाज संबंधों जैसे विषयों पर कई किताबें और शोध प्रकाशित किए हैं. उनका राजनीतिक करियर और योगदान उन्हें एक अलग ही मुकाम पर ले गया है.
हिंदू कॉलेज के लिए गर्व का पल
हिंदू कॉलेज के पुराने छात्रों के संगठन के प्रमुख रवि बर्मन ने भी हरिनी को बधाई देते हुए कहा, "यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. हरिनी ने न केवल हिंदू कॉलेज का नाम ऊंचा किया है, बल्कि वह पहली प्रधानमंत्री बनी हैं जो हमारे कॉलेज से निकली हैं."
सांस्कृतिक रूप से सक्रिय छात्रा
बॉलीवुड निर्देशक नलिन सिंह, जो हरिनी के साथ हिंदू कॉलेज में पढ़ते थे, ने उन्हें एक सांस्कृतिक रूप से सक्रिय छात्रा के रूप में याद किया. उन्होंने कहा, "हरिनी कॉलेज की सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती थीं, और भाषा की बाधा के बावजूद वह कॉलेज समुदाय का अभिन्न हिस्सा थीं."
भारत और श्रीलंका के संबंधों पर असर
हरिनी अमरासूर्या का हिंदू कॉलेज से जुड़ाव और उनके कॉलेज के अनुभवों ने भारत-श्रीलंका के बीच संबंधों को और मजबूत करने की उम्मीदें भी जगाई हैं. नलिन सिंह ने कहा, "जब दोनों देशों के संबंधों के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, तब हरिनी का यह जुड़ाव निश्चित रूप से दोनों देशों के रिश्तों को सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है."
हरिनी अमरासूर्या की नियुक्ति न केवल श्रीलंका बल्कि हिंदू कॉलेज के लिए भी एक ऐतिहासिक और गर्व का क्षण है. उनका अकादमिक और राजनीतिक सफर दोनों देशों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा.