गाजीपुर लोकसभा सीट 2019 के चुनाव परिणाम: भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज सिन्हा 3 हजार वोट से पीछे
शहीदों की धरती के नाम से विख्यात, पूर्वांचल की गाजीपुर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा कराए गए विकास कार्यों की चर्चा तो खूब हो रही है, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन का जातीय समीकरण भाजपा के लिए कड़ी चुनौती बन गया है.
Ghazipur Lok Sabha Constituency2019: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर लोकसभा सीट का रुझान आना शुरू हो गया. सपा-बसपा के साथ आने से गाजीपुर सीट पर सामाजिक समीकरण पूरी तरह बदल गया है. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मनोज सिन्हा के खिलाफ गठबंधन की ओर से अफजाल अंसारी उम्मीदवार हैं. वहीं इस बार उत्तर प्रदेश के दो मुख्य विपक्षी नेता अखिलेश यादव और मायावती के साथ चुनाव लड़ने से उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आ गया है.
शहीदों की धरती के नाम से विख्यात, पूर्वांचल की गाजीपुर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा कराए गए विकास कार्यों की चर्चा तो खूब हो रही है, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन का जातीय समीकरण बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती बन गई थी.पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल 2004 से 2009 तक यहां से सांसद रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में ''मोदी लहर'' के बीच सिन्हा इस सीट पर महज 33 हजार वोटों से जीते थे जबकि सपा और बसपा ने अलग अलग चुनाव लड़ा था.
बता दें कि सपा-बसपा के साथ आने से गाजीपुर सीट पर सामाजिक समीकरण पूरी तरह बदल गया है. इस सीट पर सर्वाधिक संख्या यादव मतदाताओं की है और उनके बाद दलित एवं मुस्लिम मतदाता हैं. यादव, दलित एवं मुस्लिम मतदाताओं की कुल संख्या गाजीपुर संसदीय सीट में लगभग आधी है. गठबंधन का यही समीकरण सिन्हा के लिए चुनौती है. गाजीपुर में पिछले कई चुनावों में जाति फैक्टर का असर रहा. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में यह कुछ हद तक टूटता सा दिखा था.
जाती समीकरण
गाजीपुर लोकसभा सीट यादव बहुल सीट है पर अतीत में बीजेपी की जीत में सवर्ण वोटरों के साथ कुशवाहा वोटरों की बड़ी भूमिका रही है जिनकी आबादी यहां ढाई लाख से अधिक है. इस बार कांग्रेस के टिकट पर अजीत कुशवाहा के उतरने से बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है. इस सीट पर डेढ़ लाख से अधिक बिंद, करीब पौने दो लाख राजपूत और लगभग एक लाख वैश्य भी हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
कौन पड़ेगा भारी
बीजेपी को उम्मीद है कि यहां अफजाल अंसारी के बसपा का उम्मीदवार होने से यादव मतदाताओं का एक हिस्सा मनोज सिन्हा की तरफ हो सकता है क्योंकि अखिलेश और अंसारी बंधुओं के बीच रिश्ते अच्छे नहीं माने जाते. दूसरी तरफ सपा का कहना है कि उसका कोर वोटर गठबंधन के साथ मजबूती से खड़ा है. वैसे, रेल राज्य मंत्री सिन्हा क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में हुए विकास कार्यों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर गठबंधन के जातीय समीकरण को विफल करने की कोशिश में हैं.
मोदी के काम दिलाएंगे वोट
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले पांच वर्षों में हुए कार्यों के कारण जातिवाद की दीवार ध्वस्त हो जाएगी. गत पांच वर्षों में गाजीपुर रेलवे स्टेशन का पुनरोद्धार, रेलवे प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना, गाजीपुर से विभिन्न महानगरों के लिए ट्रेन शुरू होना और सड़कों का निर्माण जैसे प्रमुख कार्य हुए हैं.
दूसरी तरफ, गठबंधन उम्मीदवार अफजाल अंसारी का आरोप है कि मनोज सिन्हा ने भी प्रधानमंत्री मोदी की तरह काम कम और प्रचार ज्यादा किया है. उन्होंने कहा, ''विकास के नाम पर शराब फैक्ट्री खुली है, जबकि नन्दगंज चीनी मिल अब तक नहीं खुल पाई. यह कोई पहला मौका नहीं है कि मनोज सिन्हा और अफजाल अंसारी आमने-सामने हैं। इससे पहले 2004 में अंसारी ने सपा उम्मीदवार के तौर पर सिन्हा को हराया था. गौरतलब है कि गाजीपुर लोकसभा सीट पर 19 मई को वोट डाले जाएंगे.
बता दें कि देश में सात चरणों में वोट डाले गए थे. 11 अप्रैल 2019 को पहले चरण के लिए वोट डाले गए तो वहीं 19 मई को आखिरी चरण का मतदान संपन्न हुआ. पहले चरण में कुल 91 सीटों के लिए वोट डाले गए. दूसरे चरण में 97, तीसरे चरण में 117, चौथे चरण में 71, पांचवे चरण में 51, छठे चरण में 59 और सातवें चरण में 59 लोकसभा सीटों के वोट डाले गए.