नई दिल्ली, 1 जुलाई. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को चार नर्सों के साथ बातचीत की और उन्हें नॉन-वॉयलेंट आर्मी यानी अहिंसक सेना कहा. उन्होंने जिन नर्सों से बात की, उनमें से तीन भारतीय मूल के हैं, लेकिन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन नर्सों ने कोरोना के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन वारियर्स के तौर पर अपने अनुभव साझा किए. बातचीत के दौरान दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में काम करने वाले विपिन कृष्णन ने कहा, "नर्स और डॉक्टर केंद्र सरकार के जोखिम भत्ता श्रेणी में नहीं आते हैं. जबकि इस समय कोविड-19 के खिलाफ हम फ्रंटलाइन पर लड़ाई लड़ रहे हैं. मैं अपनी सेना के साथ इसकी तुलना नहीं कर रहा हूं. लेकिन मुझे लगता है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि हम एक सेना के रूप में लड़ रहे हैं." इसके जवाब में, राहुल गांधी ने कहा, "हां, आप एक अहिंसक सेना हैं."
ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में कार्यरत राजस्थान के सीकर के निवासी नरेंद्र सिंह ने कहा कि सभी ने शुरू में कोविड-19 को एक साधारण फ्लू समझा और इसे गंभीरता से नहीं लिया. सिंह ने कहा, "लेकिन जब यह तेजी से फैलने लगा और इटली में मृतकों की बढ़ती संख्या देखी तब हमने सोचा कि यह फ्लू नहीं है, यह गंभीर बीमारी है. न्यूजीलैंड में काम करने वाली एक अन्य भारतीय मूल की नर्स अनु रागनत ने कहा कि प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डन द्वारा अपनाई गई कठिन नीतियों ने इस देश में कोरोना पर काबू पाने में मदद की. यह भी पढ़ें-Doctors' Day 2020: ममता बनर्जी ने पूर्व मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर किया याद
लंदन में एक्यूट मेडिकल यूनिट में काम करने वाले शलिलमॉल पुरावदी ने बताया, "शुरू में बहुत डर था. क्या हर मरीज कोविड-19 के लक्षण के साथ आ रहा है या नहीं? इस सबको लेकर बहुत सतर्कता से नीति बनाई और काम किया.
गौरतलब है कि इससे पहले भी राहुल गांधी आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी, महामारीविद जोहान गिसेके और उद्योगपति राजीव बजाज के साथ वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर चुके हैं.