पटना: लोक आस्था व श्रद्धा का प्रतीक एवं सूयरेपासना का चार दिवसीय छठ महापर्व (Chhath) गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है. छठ महापर्व के लिए श्रद्धालुओं ने अपने घरों में विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं, वहीं प्रशासन ने भी बेहतर व्यवस्था के लिए कमर कस ली है. पटना जिला प्रशासन के आदेश से पूरे छठ पर्व के दौरान गंगा नदी में नौका परिचालन पर रोक लगा दी गई है.
छठ पर्व के दौरान घाटों पर पटाखे छोड़ने पर भी प्रतिबंध है. छठ व्रतियों के लिए गंगा घाटों की सफाई और इन्हें सजाने का काम जोरों पर चल रहा है. पटना में 22 घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है, जहां व्रतियों का जाना प्रतिबंधित है.
छठ व्रती पहले दिन पूरी शुद्घता के साथ नहाय-खाय व्रत का संकल्प लेंगे और स्नान करने के बाद शुद्घ घी में बना अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे. महापर्व के लिए पटना के गंगा तटों से लेकर गली-मोहल्लों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. श्रद्धालु घर की साफ-सफाई के साथ व्रत के लिए पूजन सामग्री खरीदने में जुट गए हैं.
पंडित जय कुमार पाठक ने बताया, "छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है तथा सप्तमी तिथि को इस पर्व का समापन होता है. पर्व का प्रारंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करते हैं. इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है."
पाठक ने बताया कि नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को व्रती शाम को स्नान कर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार करते हैं. इसके बाद भगवान भास्कर की अराधना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस पूजा को खरना कहा जाता है.
पाठक ने बताया, "इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को व्रती उपवास रखकर शाम को टोकरी (बांस से बना दउरा) में ठेकुआ, फल, गन्ना समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब, या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करते हैं और इसके अगले दिन यानी सप्तमी तिथि को सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करते हैं, यानी व्रत तोड़ते हैं."
इस वर्ष चार दिवसीय छठ व्रत 31 अक्टूबर से प्रारंभ होगा और व्रत रखने वाले तीन नवंबर को पारण करेंगे. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्घता का विशेष ख्याल रखा जाता है और इस दौरान गीतों का खासा महत्व होता है. छठ पर्व के दौरान घरों से लेकर घाटों तक पारंपरिक कर्णप्रिय छठ गीत गूंजते रहते हैं. उल्लेखनीय है कि छठ महापर्व साल में दो बार चैत्र और कार्तिक माह के दौरान मनाया जाता है.