दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम 2020: अरविंद केजरीवाल के वो पांच दांव, जिसने बीजेपी को कर दिया पस्त
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (File Photo)

Delhi Assembly Election Results 2020: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच वोटों की गिनती मंगलवार को हो रही है. मतगणना की शुरुआत से ही सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) बीजेपी और कांग्रेस से काफी आगे चल रही थी. आप की यह बढ़त अंत तक बरकरार रहने की पूरी संभावना है. बताया जा रहा है कि फ्री बिजली और पानी ने बीजेपी और कांग्रेस का सारा दांव फेल कर दिया. हालांकि बीजेपी अपने दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी, इससे अंत समय में चुनाव रोचक दौर में पहुंच गया था.

शुरुआत में बैलट पेपर से पड़े वोटों की गिनती की गई. ताजा रुझानों के मुताबिक आप 58 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. जबकि बीजेपी 12 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही है. वहीं कांग्रेस का इस बार भी दिल्ली में सूपड़ा साफ़ होता नजर आ रहा है. इस बीच हम बात कर रहे हैं उन कारणों की जो बीजेपी की हार की वजह बनने जा रही है-

शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान-

आम आदमी पार्टी की सरकार ने सत्ता में आने के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया. बीते पांच सालों के दौरान शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कई बड़े ऐलान किए गए. साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने की वजह से दिल्ली में स्कूलों और सरकारी अस्पतालों के हालत सुधरने लगे. इसके साथ ही दिल्ली की प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम लगाकर केजरीवाल सरकार ने मध्यमवर्गीय वोटरों को अपने पक्ष में कर लिया. इसके उलट चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने दिल्ली के स्कूलों और अस्पतालों की खामियां गिनवाई ना कि भविष्य में इसमें सुधार लाने की बात की.

गरीब वोटर-

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से दो सौ यूनिट बिजली और महीने में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त कर दिया, उससे आम जन और गरीब परिवारों की जेब पर भार कम हुआ है. लाभ पाने वाला गरीब तबका चुनाव में साइलेंट वोटर बना नजर आ रहा है. बिजली कंपनियों के आंकड़ों की बात करें तो एक अगस्त को योजना की घोषणा होने के बाद दिल्ली में कुल 52,27,857 घरेलू बिजली कनेक्शन में से 14,64,270 परिवारों का बिजली बिल शून्य आया. माना जा रहा है कि इन सब ने आप का साथ दिया और जीत की राह आसन बनाई.

मुस्लिम वोटर-

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के लागू होने के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न (एनआरसी) के लागू किए जाने का डर मुसलमानों को आप के और करीब लेकर आया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को हराने के मकसद से मुसलमानों का अधिकतर वोट आप के पाले में गया. हालांकि सीलमपुर, ओखला समेत अधिकतर मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी पिछली बार भी कुछ खास नहीं कर सकी थी.

महिला वोटर–

आप के लिए महिला वोटर भी लकी साबित हुई है. दरअसल आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सरकार में आने के साथ ही महिला वोटरों को टारगेट किया था. इसी के तहत केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की डीटीसी बसों में 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से मुफ्त सफर की सौगात दी थी. एक आंकड़े के मुताबिक प्रतिदिन करीब 13 से 14 लाख महिलाएं दिल्ली में बसों में मुफ्त में सफर कर रही है. ऐसे में महिलाओं ने भी बीजेपी से बेहतर आप को समझा है.

केजरीवाल का सॉफ्ट अंदाज-

चुनाव प्रचार के दौरान आप प्रमुख केजरीवाल का सॉफ्ट अंदाज भी वोटरों को खूब पसंद आया. प्रचार अभियान में केजरीवाल ने अपना अधिकतर समय अपनी सरकार की कामयाबियों को गिनाने में लगाया. विपक्षी दलों और नेताओं पर सीधे हमले करने से केजरीवाल अधिकतर बचने नजर आए. पॉलिटिकल पंडितों का कहना है कि दिल्ली में बीजेपी का ज्यादा आक्रामक प्रचार अभियान और राष्ट्रीय मुद्दों को उठाना कुछ ज्यादा सफल नहीं हुआ. केजरीवाल अकेले ही बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सेना पर भारी पड़ गए. क्योकि बीजेपी नेताओं के आरोपों पर हर बार केजरीवाल विक्टिम कार्ड खेल गए. ऐसे में आप को सहानुभूति वोट पाने में भी ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.

उल्लेखनीय है कि साल वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 3 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. इस बार दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों के लिए मतदान 8 फरवरी को हुआ था. चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कुल 62.59 प्रतिशत मतदान दर्ज किए गए.