दिल्ली में कांग्रेस की आगे की राह नहीं आसान, नए और ऊर्जावान नेतृत्व की जरूरत 

राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव 2020 के पुरे नतीजे आने में अभी कुछ समय और लगेगा लेकिन रुझानों ने पूरी तस्वीर लगभग साफ कर दी है. बताना चाहते है कि रुझानों के अनुसार आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिलती दिख रही है. बीजेपी के खाते में 8 सीटें जा रही हैं. वही कांग्रेस का सूपड़ा इस चुनाव में साफ होता दिख रहा है. कांग्रेस का खाता न खुलना अपने आप में कई सारे सवाल खड़ा कर रहा है. राज्य में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार 15 साल शासन कर चुकी है. ऐसे में यह आंकड़े कांग्रेस के लिए शर्मनाक हैं.

कांग्रेस (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Elections Results 2020) के पुरे नतीजे आने में अभी कुछ समय और लगेगा लेकिन रुझानों ने पूरी तस्वीर लगभग साफ कर दी है कि आप आदमी पार्टी दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आ रही है.  रुझानों के अनुसार आम आदमी पार्टी (AAP) को 62 सीटें मिलती दिख रही है. बीजेपी के खाते में 8 सीटें जा रही हैं. वही कांग्रेस का सूपड़ा इस चुनाव में साफ होता दिख रहा है. कांग्रेस का खाता न खुलना अपने आप में कई सारे सवाल खड़ा कर रहा है. राज्य में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार 15 साल शासन कर चुकी है. ऐसे में यह आंकड़े कांग्रेस के लिए शर्मनाक हैं. साल 2015 के विधानसभा चुनावों में 9.65 फीसदी वोट हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में अब तक सिर्फ 4.27 फीसदी वोट हासिल कर पायी थी. आप को इस चुनाव में अब तक 53.63 फीसदी और बीजेपी को 38.46 प्रतिशत वोट मिले हैं.

जानकारों का मानना है कि पार्टी के भीतर चल रही आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस का इतना बुरा हाल हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की उपलब्धियों को लेकर कांग्रेस ने एक अभियान चलाया लेकिन रुझानों से साफ है कि वोटरों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली में दूसरे स्थान पर रही कांग्रेस को इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी की आलोचना के अलावा कुछ नहीं मिला है. यह भी पढ़े-दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम 2020: बीजेपी की हार पर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे बोले- देश 'जन की बात' से चलेगा, 'मन की बात' से नहीं

कांग्रेस की राह आने वाले समय में आसान नहीं होने वाली है. इसलिए पार्टी को आत्मनिरीक्षण की अधिक आवश्यकता है. AICC के राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने स्वीकार किया कि जब उन्होंने ट्वीट किया था कि हम फिर से दिल्ली में विस्थापित हो गए हैं. आत्मनिरीक्षण के लिए पर्याप्त, अब कार्रवाई का समय. शीर्ष पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकता की कमी, निराश कार्यकर्ता, जमीनी स्तर पर कोई कनेक्ट नहीं - सभी फैक्टर्स हैं. इस सिस्टम का हिस्सा होने के नाते मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी लेती हूं. कांग्रेस को आने वाले समय में नए और ऊर्जावान नेतृत्व की जरूरत है जो दिल्ली में पार्टी को जीत दिला सकें.

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