Delhi Coaching Case: देश की राजधानी दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में पानी भरने से तीन छात्रों की मृत्यु हुई है. इस मुद्दे पर सोमवार को आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने अपनी ही सरकार को घेरा. मालीवाल ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि चुने हुए नेताओं पर भी जांच और कार्रवाई की जाए. उन्होंने इस मामले में घोर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि यह हादसा नहीं, हत्या है. स्वाति मालीवाल का कहना था कि छोटी-छोटी सड़कों के निर्माण का श्रेय लेने के लिए लड़ने वाले नेता व मंत्री आज घटनास्थल पर नहीं आए. स्वाति मालीवाल ने राज्यसभा में बोलते हुए राजेंद्र नगर में यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों की मौत को दर्दनाक 'प्रशासनिक हत्या' कहा.
उनका कहना था कि उन्होंने इस मुद्दे पर आज संसद में सभी छात्रों की तरफ से आवाज उठाई है. राज्यसभा में बोलते हुए स्वाति मालीवाल ने दिल्ली नगर निगम को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कोई दिल्ली में घर की एक ईंट भी लगाए तो नगर निगम के अधिकारी रिश्वत मांगने पहुंच जाते हैं. लेकिन, उनकी नाक के नीचे आज ऐसे सैकड़ों गैरकानूनी कोचिंग सेंटर इत्यादि खुले हुए हैं. राजेंद्र नगर के घर-घर में ऐसे कोचिंग सेंटर और पीजी मौजूद हैं. उन्होंने अपनी बात कहते हुए तीन मांगे रखी. अपनी मांगों में उन्होंने कहा कि सभी पीड़ित छात्रों के परिवार को 1-1 करोड़ रुपए की सहायता राशि मिले. इस मामले में लापरवाही के लिए अधिकारियों और चुने हुए नेताओं पर भी जांच और कार्रवाई हो. यह भी पढ़ें: Archery at Paris Olympics 2024 Live Streaming: तीरंदाजी के मेंस टीम क्वार्टरफाइनल मैच में जलवा दिखाएंगें ये दिग्गज स्टार, यहां जानें कब- कहां और कैसे देखे लाइव मुकाबला
इसके साथ ही उनकी तीसरी मांग यह थी कि दिल्ली में कोचिंग इत्यादि के लिए पढ़ने आने वाले बच्चों के हितों में पॉलिसी बनाई जाए, जिससे छात्रों के साथ हो रही लूट और उत्पीड़न खत्म हो. सदन में बोलते हुए मालीवाल ने कहा कि आज कहीं 100 मीटर सड़क बनती है तो चार नेता उद्घाटन का रिबन काटने आ जाते हैं, पूरे मोहल्ले में बधाई के पोस्टर लगा देते हैं. लेकिन, जब इसी सड़क पर कोई दुर्घटना होती है तो सारे नेता गायब हो जाते हैं. उन्होंने एक अन्य छात्र की करंट लगने से हुई मृत्यु का मामला भी सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि इन चारों छात्रों की मौत नहीं हत्या हुई है. कोचिंग सेंटर के हादसे से कुछ दिन पहले निलेश राय की करंट लगने से मौत हो गई थी. राजेंद्र नगर में लाइब्रेरी में डूबने से मरने वाले बच्चों के परिवारों को उम्मीद थी कि उनके बेटे-बेटी अफसर बनेंगे. इस सपने के साथ बच्चों को दिल्ली भेजा था पर वो सपना डूब गया.