वक्फ बिल पर JDU में फूटा असंतोष, 5 नेताओं ने दिया इस्तीफा; NDA में बढ़ता टकराव
Nitish Kumar | PTI

नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 पर समर्थन को लेकर जनता दल (यूनाइटेड) में गहरा असंतोष उभर कर सामने आया है. अब तक पार्टी के पांच वरिष्ठ नेताओं ने एक के बाद एक इस्तीफा दे दिया है. इन नेताओं का कहना है कि पार्टी का यह कदम मुस्लिम समुदाय के विश्वास के साथ धोखा है.

सबसे ताजा इस्तीफा आया है जेडीयू युवा विंग के उपाध्यक्ष तबरेज़ हसन की ओर से. इससे पहले अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राज्य सचिव मोहम्मद शहनवाज़ मलिक, अलीगढ़ के राज्य महासचिव मोहम्मद तबरेज़ सिद्दीकी, भोजपुर के मोहम्मद दिलशान रैन और पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी भी पार्टी छोड़ चुके हैं.

तबरेज हसन बोले "आपने सेकुलर छवि को तोड़ा"

तबरेज हसन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा, "मुझे उम्मीद थी कि आप अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखेंगे, लेकिन आपने ऐसे लोगों का साथ दिया जो बार-बार मुसलमानों के खिलाफ काम करते हैं." उन्होंने आगे कहा कि इस बिल का समर्थन अनुच्छेद 370 हटाने, ट्रिपल तलाक कानून और CAA जैसे फैसलों की कड़ी का हिस्सा है, जिससे मुस्लिम समाज को नुकसान हुआ है.

विरोध की आवाजें हुईं अनसुनी

हसन ने दावा किया कि उन्होंने पार्टी को उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं में ज्ञापन सौंपकर इस बिल का विरोध करने की अपील की थी, लेकिन किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. उन्होंने अपने इस्तीफे को एक "नई जिम्मेदारी की शुरुआत" बताया.

RLD में भी उठी नाराजगी की लहर

सिर्फ जेडीयू ही नहीं, NDA की दूसरी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) में भी वक्फ बिल के समर्थन को लेकर नाराजगी दिखने लगी है. उत्तर प्रदेश में आरएलडी के राज्य महासचिव शहजैब रिजवी ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए जयंत चौधरी पर आरोप लगाया कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता का त्याग कर दिया और मुसलमानों का साथ नहीं दिया.

हापुड़ जिले के महासचिव मोहम्मद जाकी और उनके साथ कई स्थानीय नेता भी पार्टी छोड़ चुके हैं. जाकी ने कहा, “अब पार्टी नेतृत्व जनता के हितों से ज्यादा सत्ता की भूख को प्राथमिकता दे रहा है.”

वक्फ बिल पास लेकिन सियासत गर्म

राज्यसभा में शुक्रवार देर रात 128 वोटों से बिल पास हुआ, जबकि 95 ने विरोध में मतदान किया. इससे पहले लोकसभा में 288 सांसदों ने समर्थन और 232 ने विरोध किया था. हालांकि संसद में बिल पास हो चुका है, लेकिन बिहार चुनाव से पहले यह मुद्दा सियासी तूफान बनता जा रहा है.