New Parliament Building: नए संसद भवन के उद्घाटन पर भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग, सेंगोल पर भी छिड़ा घमासान

नयी दिल्ली/चेन्नई, 26 मई: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर शुक्रवार को सत्तारूढ़ दल भाजपा एवं विपक्षी दल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी रहने के साथ रस्मी राजदंड ‘सेंगोल’ को लेकर भी घमासान छिड़ गया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नया संसद भवन हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा. उन्होंने नवनिर्मित परिसर का एक वीडियो भी साझा किया. वहीं, कई केंद्रीय मंत्रियों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के फैसले को लेकर कांग्रेस सहित 20 विपक्षी दलों पर निशाना साधा. First Look Of New Parliament Building: नए संसद भवन को वीडियो आया सामने, देखें कैसी बनी है लोकतंत्र की शानदार इमारत

मोदी ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए लोगों से ‘माई पार्लियामेंट माई प्राइड’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए अपने ‘वॉयसओवर’ के साथ वीडियो साझा करने का भी आग्रह किया. नए संसद भवन का उद्घाटन रविवार को होगा. इस समारोह की शुरुआत सुबह-सुबह हवन और सर्व-धर्म प्रार्थना के साथ शुरू होगी. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में औपचारिक उद्घाटन करेंगे.

पूर्व नौकरशाहों, राजदूतों और करीब 270 विशिष्ट नागरिकों के एक समूह ने विपक्षी दलों की आलोचना की और दावा किया कि सभी ‘‘परिवार पहले’’ वाले दल, भारत का प्रतिनिधित्व करने वालों का बहिष्कार करने के लिए एकजुट हो गए हैं.

इस बीच, उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा सचिवालय को नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले पर गौर करना अदालत का काम नहीं है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट स्थापित किए जाने वाले रस्मी राजदंड के महत्व को कमतर करके ‘‘चलते समय सहारा देने के काम आने वाली छड़ी’’ बना देने का आरोप लगाया. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका वंशवादी नेतृत्व उन्हें आपस में जोड़ता है जिनकी ‘‘राजशाही’’ पद्धतियों का संविधान के सिद्धांतों से टकराव है.

शाह ने कहा कि कांग्रेस को अपने व्यवहार पर ‘‘मनन’’ करने की आवश्यकता है. उन्होंने पार्टी के इस दावे की निंदा की कि ‘राजदंड’ के 1947 में ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता सौंपे जाने का प्रतीक होने का कोई उदाहरण नहीं है. शाह ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ ने भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर पंडित (जवाहरलाल) नेहरू को एक पवित्र राजदंड दिया था, लेकिन इसे ‘चलते समय सहारा देने वाली छड़ी’ की तरह बताकर किसी संग्रहालय में भेज दिया गया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. पवित्र शैव मठ थिरुवदुथुराई आदिनम ने भारत की स्वतंत्रता के समय राजदंड के महत्व के बारे में स्वयं बताया था.’’ शाह ने कहा, ‘‘कांग्रेस अब आदिनम के इतिहास को फर्जी बता रही है. कांग्रेस को अपने व्यवहार पर मनन करने की आवश्यकता है.’’ शाह के इस बयान के पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो.

रमेश के दावों को चुनौती देते हुए तमिलनाडु में एक मठ के प्रमुख ने कहा कि सेंगोल अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपा गया था और फिर इसे 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भेंट किया गया था तथा कुछ लोगों द्वारा इस संबंध में किए जा रहे गलत दावों से उन्हें बहुत तकलीफ हो रही है. चेन्नई में, संवाददाताओं से बातचीत में तिरुवदुथुरै आदिनाम के अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने कहा कि सेंगोल जो लंबे समय तक लोगों की निगाहों से दूर था, अब संसद में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि दुनिया उसे देख सके.

सेंगोल को सौंपे जाने के प्रमाण से जुड़े एक सवाल पर आदिनाम ने कहा कि 1947 में अखबारों और पत्रिकाओं में छपी तस्वीरें व खबरों सहित इसके कई प्रमाण हैं. परमाचार्य स्वामी ने कहा, ‘‘यह दावा करना कि सेंगोल भेंट नहीं किया गया था, गलत है. सेंगोल के संबंध में ‘गलत सूचना’ के प्रसार से तकलीफ हुई है.’’

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘बहिष्कार गिरोह’ अपने ही नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत का अपमान कर रहा है.

पुरी ने सिलसिलेवार ट्वीट में ‘टाइम’ पत्रिका में 1947 में प्रकाशित एक पुराने लेख का हवाला दिया और कहा कि यह उन लोगों को जरूर पढ़ना चाहिए, जो चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के बजाय शानदार नए संसद भवन का निर्माण उन्होंने किया होता.

लेख का हवाला देते हुए पुरी ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर हिंदू (रीति-रिवाजों और परंपराओं) का स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है. वे अब जिस सेंगोल का अपमान कर रहे हैं, वह तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा हिंदू रीति-रिवाजों के साथ प्राप्त किया गया था.’’ पुरी ने कहा, ‘‘अब पाखंड पूरी तरह से प्रदर्शित हो रहा है- इसे अलग-अलग रंगों में रंगने की कोशिश की जा रही है- इसके पीछे की मंशा सामने आ रही है, मगरमच्छ के आंसू बह रहे हैं!’’

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को भारतीय मूल्य और संस्कृति को बदनाम करने की आदत है. उन्होंने कहा, ‘‘आज जब दुनिया भारत की समृद्ध परंपराओं पर ध्यान दे रही है, कांग्रेस पार्टी भारत और उसकी विरासत का अपमान करने के लिए नए तरीके खोजने की कोशिश कर रही है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस अभी भी औपनिवेशिक खुमारी में है.’’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के विपक्षी दलों के फैसले को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया और कहा कि राजनीति करने की एक सीमा होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि नये संसद भवन के उद्घाटन का जश्न पूरे देश को एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए. जयशंकर ने गुजरात में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि नये संसद भवन के उद्घाटन को लोकतंत्र के त्योहार के रूप में लिया जाना चाहिए और इसका जश्न उसी भावना से मनाया जाना चाहिए. इसे विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए. अगर यह विवाद का विषय बन जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.’’

विपक्षी दलों का तर्क है कि संसद के नये भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए क्योंकि वह न केवल गणराज्य की प्रमुख हैं, बल्कि संसद की भी प्रमुख हैं क्योंकि वह उसे आहूत करती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसके संयुक्त सत्र को संबोधित करती हैं.

विपक्षी दलों की ओर से बहिष्कार के निर्णय की आलोचना करने वाले विशिष्ट नागरिकों द्वारा संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में एनआईए के पूर्व निदेशक वाई सी मोदी, पूर्व आईएएस अधिकारी आर डी कपूर, गोपाल कृष्ण और समीरेंद्र चटर्जी और लिंगया विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल रॉय दुबे शामिल हैं.

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं करने पर केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधा. पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी नये संसद भवन को अपनी ‘‘जायदाद’’ समझते हैं क्योंकि उन्हें (मोदी) ऐसा लगता है कि इस परिसर का निर्माण उन्होंने करवाया है.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को शुभकामनाएं दीं और इस कार्यक्रम के बहिष्कार के लिए विपक्षी दलों की निंदा की.

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर विवाद को ‘‘अनावश्यक’’ बताया. महाजन ने कहा कि संसद, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का मंदिर है और इसके नये भवन के उद्घाटन को लेकर दलगत राजनीति से बचा जाना चाहिए.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नया संसद भवन स्वागत योग्य है और यह भव्य दिखता है. अब्दुल्ला की पार्टी ने भी रविवार के आयोजन का बहिष्कार किया है. अब्दुल्ला ने कहा कि जब वह लोकसभा सदस्य थे, तब उनके कई सहकर्मी एक नये और बेहतर संसद भवन की जरूरत को लेकर अक्सर बातें किया करते थे.

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