रायपुर, 3 दिसम्बर 2020: एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने वाले किसानों की संख्या छत्तीसगढ़ राज्य में देखे तो यह 94 प्रतिशत से भी ज्यादा है. भूपेश बघेल सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते पिछले दो साल में छत्तीसगढ़ राज्य में न केवल खेती का रकबा बढ़ा है बल्कि जो लोग खेती-किसानी को अलाभकारी व्यवसाय मानते हुए इसे छोड़ दिए थे वो लोग एक बार फिर वापस खेती की ओर अपना रूख कर लिए है.
छत्तीसगढ़ में 2017 में जहां 76 प्रतिशत किसानों ने एमएसपी पर धान बेचा था वहीं भूपेश सरकार के आने के बाद इसमें आशातीत वृद्धि देखी गई और यह आकड़ा 2018 में 92.61 और 2019 में 94.02 पहुंच गया है. इस साल राज्य में 2 लाख 48 हजार 171 नए किसानांे ने भी पंजीयन कराया है तो यह आकड़ा इस बार 98 प्रतिशत से भी पार पहुंचने की उम्मीद है.
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छत्तीसगढ़ में बीते एक दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू हो गई है. राज्य में इस साल धान बेचने के लिए 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है, जिनके द्वारा बोये गए धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर से अधिक है. दो सालों में धान बेचने वाले किसानों का रकबा 19.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.68 लाख हेक्टेयर और किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है.
वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर 56.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी. दो सालों के दौरान धान खरीदी का यह आंकड़ा 83.94 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया. इस साल धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या और धान की रकबे को देखते हुए समर्थन मूल्य पर बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है. धान उपार्जन के लिए बारदाने की कमी के बावजूद भी राज्य सरकार इसके प्रबंध में जुटी हुई है.
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सत्ता की बागडोर संभालते ही राज्य के 17 लाख 82 हजार किसनों का लगभग 9 हजार करोड़ रूपए का कृषि ऋण की माफी और 17 लाख से अधिक किसानों पर वर्षों से बकाया 244.18 करोड़ रूपए का सिंचाई कर माफ किया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को उनका हक और उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए 21 मई 2020 से राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की.
इस योजना के तहत राज्य के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ रूपए चार किश्तों में दिए जा रहे है. अब तक तीन किश्तों में किसानों को 4500 करोड़ रूपए की सीधी मदद दी जा चुकी है.