चंद्रशेखर आजाद की रिहाई है बीजेपी का बड़ा सियासी दांव, अखिलेश-माया का बिगाड़ा खेल
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण (Photo Credits: Facebook/File)

नई दिल्ली: चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को शुक्रवार तड़के सहारनपुर की जेल से रिहा कर दिया गया. उन्हें सहारनपुर में पिछले साल हुई जातीय हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. रात 2 बजे चंद्रशेखर उर्फ रावण को रिहा कर दिया गया. योगी सरकार ने रावण को रिहा करने का आदेश बुधवार को जारी कर दिया था. रिहाई की खबर मिलते ही उनके स्वागत के लिए समर्थक जेल के बाहर पहुंचा गए. एक नवंबर 2018 तक जेल में रहना था.

जेल से रिहा होते ही चंद्रशेखर आजाद 'रावण' ने मोदी सरकार के खिलाफ हमला बोला. उन्होंने कहा, ''मुझसे सरकार डर गई. हम 2019 में सरकार को उखाड़ फेकेंगे." वैसे सियासी जानकारों की माने तो चंद्रशेखर आजाद रावण को रिहा करने के पीछे बीजेपी ने बड़ा सियासी दाव खेला हैं.

मायावती के वोट बैंक में सेंध:

चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की पश्चिम यूपी के दलित समाज के लोगों पर अच्छी खासी पकड़ हैं. चंद्रशेखर आजाद का उभारना मायावती की सियासत के लिए सबसे बड़ा खतरा है. दलित समाज ख़ास कर युवा वर्ग चंद्रशेखर आजाद को उम्मीदों भरी निगाह से देख रहा हैं. पश्चिम यूपी में भीम आर्मी का खड़ा होना बीएसपी के लिए चिंता का विषय है. अगर चंद्रशेखर आजाद 2019 में खड़े होते हैं तो वो मायावती के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा.

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दलित समाज को रिझाना:

केंद्र में सत्ता में आने के बाद बीजेपी लगातार दलित उत्पीडन के आरोपों से जूझ रही हैं. पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मौके आए हैं जब विपक्ष ने केंद्र सरकार को दलित विरोधी सरकार के रूप में पेश किया है. बीजेपी के रणनीतिकारों को भी इस बात का अंदाजा है कि जो दलित समाज 2014 में मोदी के पीछे मजबूती से खड़ा था वो अब उससे दूर हो रहा हैं. चंद्रशेखर की रिहाई को भी दलितों का आक्रोश कम करने की दिशा में एक कदम बताया जा रहा है.

वैसे चंद्रशेखर आजाद ने 2019 आम चुनावों को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वैसे वह यूपी में एक बड़ा फैक्टर हो सकते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस और सपा दोनों उन्हें रिझाने के प्रयास में जुटे हैं.