VIDEO: राम हमको हराने के लिए नहीं, बल्कि विपक्ष को अपना अस्तित्व मनवाने आए थे, संसद में बोले सुधांशु त्रिवेदी

बीजेपी के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अयोध्या में मिली हार को लेकर विपक्ष द्वारा किए गए हमलों का दिया जवाब, राज्यसभा में जोरदार भाषण दिया, चुन-चुनकर जवाब दिया. उन्होंने कहा आपको क्या लगता है राम हमको हराने के लिए आए थे, नहीं आपको (विपक्ष को) अपना अस्तित्व मनवाने आए थे. एक बार नागपाश भगवान राम को भी लगा था, वो प्रभु की लीला थी सिर्फ हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाने के लिए.

अयोध्या में जब हमें वांछित सफलता नहीं मिली तो विरोधी बता क्या रहे हैं, चित्रकूट से लेकर रामेश्वर तक राम से जुड़ी सीटें गिना रहे हैं. जो कभी भगवान राम का अस्तित्व नहीं मानते थे, भगवान राम क्या लगता है हमें हरवाने के लिए आए थे, नहीं, भगवान राम अपना अस्तित्व मनवाने के लिए आए थे. भगवान राम को भी एक बार नागपास लगा था हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाने के लिए. एक बार यूपी में भी ये नारा लगा था कि मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जयश्रीराम.. हमने सरकार बनाकर दिखा दी थी. हमारे लिए राम चुनावी हार-जीत का विषय नहीं है. हम दो सीट पर भी वैसे ही खड़े थे, आज भी वैसे ही खड़े हैं. हो सकता है तपस्या में कोई कमी रह गई हो.

 

सुधांशु त्रिवेदी ने संविधान का विषय उठाए जाने को लेकर कहा कि इन लोगों ने अपने समय में संविधान के साथ क्या किया, तीन उदाहरण से बताना चाहता हूं. नाजी फिल्म का उदाहरण देते हुए इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का नारा याद दिलाया. जजों को लेकर हिटलर के बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने आपातकाल में वैसा ही कदम इंदिरा की ओर से उठाए जाने के साथ संविधान के 39वें और 40वें संशोधन याद दिलाए. 42वां संविधान संशोधन ऐसा संशोधन था जिसमें संविधान की आत्मा को बदल दिया गया.

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- राजीव गांधी की सरकार ने न्यायालय का आदेश रोककर शरिया को संविधान से ऊपर कर दिया. 1992 में पीवी नरसिम्हाराव के जमाने में ढांचा गिरने पर यूपी सरकार बर्खास्त कर दी गई, समझ आता है. हमारी सारी सरकारें बर्खास्त कर दी गईं. संविधान खतरे में. जब मनमोहन सिंह की सरकार आई, यूनियन कैबिनेट के ऊपर नेशनल एडवाइजरी काउंसिल किसने बनाई. 2006 में सोनिया गांधी को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के केस में इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि वह पद असंवैधानिक था. 10 साल तक देश में सुपर पीएम पीएम सुना. कैबिनेट के निर्णय को फाड़कर फेक दिया गया, संविधान खतरे में था. मार्च 2006 में केरल की विधानसभा में स्पेशल सेशन बुलाया जाता है और कोयंबटूर हमले के आरोपी को रिहा करने के प्रस्ताव पर सभी विधायक वोट करते हैं, संविधान खतरे में था. इन्होंने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया, संसद से पारित किसी कानून के खिलाफ राज्य की सरकारें प्रस्ताव पारित नहीं कर सकतीं. दो नेता जेल में चले गए तो इन्हें लगता है कि संविधान खतरे में आ गया. क्या ये 2014 के बाद ही हुआ? शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, लालू यादव, ए राजा के जेल जाने और सोनिया गांधी-राहुल गांधी को बॉन्ड लेना पड़ा तब हमारी सरकार नहीं थी. जिनके खुद के बहीखाते बेहिसाब बिगड़े हुए हैं, वही हमसे हिसाब मांगते हैं.