नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का आज 54वां जन्मदिन है. सन 1964 में जन्मे अमित शाह ने भारतीय राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. अमित शाह को बीजेपी के लिए अच्छे दिन लाने-वाले चुनिंदा लोगों का तबका प्राप्त है. बीजेपी में उनकी पकड़ का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें लगातार तीन बार पार्टी की कमान दी गई. वें लगातार तीसरी बार पार्टी अध्यक्ष बनने वाले पहले शख्स हैं. इस दौरान उन्होंने ना केवल पार्टी को मजबूत बनाया बल्कि लगभग सभी प्रमुख चुनावों में जीत भी दिलाई. बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद से शाह ने पार्टी की सदस्यता रिकॉर्ड 11 करोड़ तक पहुंचा दी, जो कि 2014 में इससे आधे से भी कम थी. यही वजह है की अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य माना जाता है.
ऐसा है राजनीतिक सफर:
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में जन्में अमित शाह की शुरुआती पढ़ाई गुजरात के मानसा गांव में हुई है. जब शाह 16 साल के थे तब उनका परिवार मुंबई से अहमदाबाद आकर बस गया. होश संभालते ही अमित शाह संघ से जुड़ गए थे. जिसके बाद एबीवीपी से होते हुए 1984-85 में पहली बार बीजेपी कार्यकर्ता बने. पार्टी की तरफ से पहली जिम्मेदारी उन्हें अहमदाबाद के नारायणपुरा वार्ड में पोल एजेंट के रूप मिली थी. जहां पर उनके शानदार काम को देखते हुए भाजयुमो का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया और फिर गुजरात बीजेपी का उपाध्यक्ष.
फिर क्या था, अमित शाह अपने बलबूते खुद नए-नए शिखर पर पहुंचते गए. 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के अहमदाबाद सीट से चुनाव के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली. यह सिलसिला 2009 तक जारी रहा और वें आडवाणी के लिए लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाते रहे. जब गांधीनगर सीट से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा था, तब भी अमित शाह उनके चुनाव प्रभारी थे. पहली बार गुजरात में बीजेपी 1995 में सत्ता में आई.
अमित शाह ने पहली बार विधानसभा चुनाव सरखेज सीट से जीती. जहां उन्हें 25 हजार वोटों से जीत मिली. फिर दोबारा वहीं से 1.30 लाख वोटों से जीत दर्ज की. साल 2002 में जब पहली बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात चुनाव लड़ा गया तो सरखेज सीट से अमित शाह ने 1,58,036 वोटों से चुनाव जीता. उनकी काबिलियत को देखते हुए गुजरात की मोदी सरकार में उन्हें गृहमंत्री का पद दिया गया. सरखेज सीट पर उनका जादू बरकरार रहा और 2007 में चौथी बार वहां से विधायक चुने गए. लेकिन इस बार जीत का 2,30,000 वोटों से भी ज्यादा था. उन्हें फिर राज्य सरकार में गृह मंत्रालय सहित कई अहम विभागों मिले.
बता दें कि 1989 से 2014 के बीच शाह ने गुजरात राज्य विधानसभा और विभिन्न स्थानीय निकायों के लिए 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े. वो एक भी चुनाव में नहीं हारे. अमित शाह को साल 2010 में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामलें 90 दिनों के लिए जेल में जाना पड़ा था. हालांकि बाद में कोर्ट ने अमित शाह को आरोपों से बरी कर दिया.
इसलिए कहे जाते है BJP के चाणक्य:
बीजेपी नेताओं की मानें तो अमित शाह किसी भी चुनाव में जीत पक्की करने के लिए बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर देते है. यहीं वजह है कि उनकी अचूक रणनीति का कोई भी विपक्षी दल और नेता तोड़ नहीं निकाल पाता. ऐसा कहा जाता है अमित शाह ने 17 साल की उम्र में ही चाणक्य का पूरा इतिहास पढ़ लिया था. सबसे कम उम्र में बीजेपी अध्यक्ष बननेवाले अमित शाह के कमरे में कई बार चाणक्य और सावरकर की तस्वीर टंगी हुई देखी गई है.
अमित शाह ही ऐसे चंद नेताओं में से एक है जो ना केवल अच्छी बल्कि अपने खिलाफ छपी खबरों को भी संभालकर रखते है. ऐसी कई खबरों को उन्होंने अपने अधिकारिक पेज (http://amitshah.co.in/tag/press-critical-acclaim/) पर शेयर किया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस मामले में दूसरे नेताओं से अलग हैं. ऐसा शायद इसलिए क्योकि उन्हें अपनी आलोचना और नकारात्मक खबरों से सिखने मिलता है.