Bihar Assembly Elections 2020: प्रतिष्ठा की जंग लड़ रहे बिहार के दो दिग्गज नेता, एक तो रहे हैं मुख्यमंत्री
बिहार विधानसभा चुनाव में गया जिले के नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है. इस क्षेत्र की लड़ाई मुख्यत: दो दिग्गजों पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी तथा पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी के बीच प्रतिष्ठा बचाने के रूप में देखी जा रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव में गया जिले के नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है. इस क्षेत्र की लड़ाई मुख्यत: दो दिग्गजों पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी (Uday Narayan Choudhary) तथा पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बीच प्रतिष्ठा बचाने के रूप में देखी जा रही है.
इमामगंज की सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जहां मांझी को उम्मीदवार बनाया है वहीं महागठबंधन ने राजद के कद्दावर महादलित नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. इधर, लोकजनशक्ति पार्टी ने पूर्व विधायक रामस्वरूप पासवान की बहू (पतोहू) शोभा देवी को चुनाव मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है. पिछले चुनाव में मांझी ने चौधरी को 29 हजार से अधिक मतों से पराजित कर उनके विजयरथ को रोक दिया था. चौैधरी इस चुनाव में मांझी से अपने पुराने हिसाब को बराबर करना चाहते है. यह भी पढ़े: Bihar Assembly Elections 2020: जीतन राम मांझी को NDA में शामिल होने पर मिली Z+ सिक्योरिटी, जानें बिहार में किस नेता को मिली है कौन सी सुरक्षा
चौधरी के करीबी रिश्ते मांझी के मुकाबले उनके सामाजिक समीकरण को भारी बनाते हैं. सड़क के किनारे ठेला लगाकर चना बेच रहे 50 वर्षीय रामकेवट कहते हैं, यहां कोई भी चुनाव लड़ने आ जाए परंतु हमलोग उदय नारायण चौधरी को ही वोट देंगे. वे लोगों के सुख-दुख में शामिल होते रहते हैं. पिछले चुनाव में चौधरी को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन वे इमामगंज सीट से पांच बार चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं. वर्ष 1990 में जनता दल, वर्ष 2000 में समता पार्टी और फरवरी 2005, अक्टूबर-नवंबर 2005 और 2010 में जदयू के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. करीब 2.50 लाख मतदाताओं की संख्या वाले इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में मतों की बहुलता की ²ष्टि से महादलित वोट सबसे अधिक है, इसके बाद अतिपिछड़ा व पिछड़ी जातियों के वोट हैं. अगड़ी जातियों का वोट यहां काफी कम है. बांकेबाजार में रहने वाले युवा संतोष कुमार कहते हैं कि राजनीति की दिशा अब बदल गई है. उन्होंने कहा कि सड़क, पेयजल की बात करने वाली पार्टियों को रोजगार की भी बात करनी होगी. उन्होंने कहा कि शिक्षा बेहतर कर ही देंगे, तो लोग रोजगार कहां से पाएंगें. उन्होंने कहा कि आखिर बिहार में विकास कहां है? यह भी पढ़े: Bihar Assembly Elections 2020: जीतन राम मांझी के बाद महागठबंधन को लग सकता है एक और झटका, उपेंद्र कुशवाहा भी चुन सकते हैं अपनी अलग राह
इधर, गया के एक स्कूल से सेवानिवृत्त होकर डुमरिया के रहने वाले शिक्षक उदयभान सिंह कहते हैं कि सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां हजारों एकड़ भूमि बेकार पड़ी रहती है. सही मायने में प्राइमरी से लेकर इंटर तक के सरकारी स्कूलों की दशा भी खराब है. दूसरी समस्या सड़क और रास्तों की है. पीने का पानी भी इस क्षेत्र की समस्या है. गया के वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल कादिर कहते हैं कि मांझी के लिए सभी बड़ी समस्या लोजपा प्रत्याशी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि लोजपा प्रत्याशाी शोभा देवी के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला रोचक हो गया है. मांझी का दांगी व कुशवाहा जैसी जातियों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं और मांझी मतदाताओं की संख्या भी 50 हजार से अधिक है, जो उनके पक्ष में है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि मांझी से लोगों की शिकायत भी है. वे स्पष्ट कहते हैं, इस चुनाव में इमामगंज की सीट हॉट सीट है और चौधरी और मांझी में सीधी टक्कर है, लेकिन लोजपा प्रत्याशी इसे त्रिकोणात्मक बनाने में जुटी है. अगर संघर्ष त्रिकोणात्मक हुआ तो मांझी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. बहरहाल, इमामागंज में पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को मतदान होना है. बिहार में 243 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होना है.