विधानसभा चुनावों (Assembly Election) में जीत के बाद कांग्रेस (Congress) तीनों राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़) में मुख्यमंत्री के नामों की घोषणा कर चुकी है. तीनों राज्यों में से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई है. यहां कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से 68 सीटों पर जीत हासिल की है. छत्तीसगढ़ के सीएम को चुनने में ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सबसे ज्यादा समय लगा. रविवार को भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी है.
रायपुर (Raipur) में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय मुख्यालय में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, पर्यवेक्षक बनाए गए मल्लिकार्जुन खड़गे ने भूपेश बघेल ने नाम का ऐलान किया. भूपेश बघेल को सीएम की कमान उनकी कड़ी मेहनत और सटीक राजनीति की वजह से मिली है. बघेल ने ही राज्य में कांग्रेस को नया जीवन दिया है. राहुल गांधी सूबे की कमान भूपेश बघेल को सौंपी है इसके कई बड़े कारण है जिनसे उनका दर्जा बाकी नेताओं से ऊपर हुआ है.
80 के दशक से राजनीति में सक्रीय
भूपेश बघेल 80 से दशक में राजनीति में सक्रीय हैं. लंबे राजनैतिक तजुर्बे वाले बघेल सियासत के हर दांव को भलीभांति समझते हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वनवास को खत्म करने में सबसे बड़ा हाथ उनका ही है. कुर्मी क्षत्रिय परिवार से ताल्लुक रखने वाले बघेल को राज्य में पार्टी की जीत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिस पर वे बखूबी खड़े भी हुए. अपने आक्रामक तेवर के लिए पहचाने जाने वाले बघेल ने राज्य में पार्टी की कमान संभाली तो कांग्रेस को कई संकटों से उभारा. बघेल ने पार्टी के अस्तित्व को 15 साल बाद फिर से जिंदा किया है.
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हार के दौर से पार्टी को बाहर निकाला
पिछले 15 सालों से छत्तीसगढ़ में बीजेपी सत्ता पर बनी हुई थी. कांग्रेस के लिए राज्य में बहुमत हासिल करना बहुत कठिन था. ऐसे समय में बघेल ने अपनी सटीक राजनीति से पार्टी को हार के दौर से बाहर निकाला है. बघेल ने समय-समय पर पार्टी में जान फूंकी. उन्होंने प्रदेश के कई मुद्दों पर बहस कर जीत हासिल की. नसबंदी कांड, अंखफोड़वा कांड, भूमि अधिग्रहण को लेकर हुए विवाद पर उन्होंने पदयात्राएं कीं और रमन सरकार को घेरा. विधानसभा चुनाव से पहले बघेल की प्रदेश के कई हिस्सों में पदयात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा.
पार्टी में गुटबाजी का किया खात्मा
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सत्ता से बाहर रहने के कारण प्रदेश में कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी थी. कई वरिष्ठ नेता एक दूसरे से नाराज थे और पार्टी में गुटबाजियां अपने चरम पर थी. ऐसे समय में भूपेश बघेल ने कांग्रेस पार्टी के संगठन को मजबूत किया और रूठों के मनाते हुए आज सत्ता में सबसे ऊपर पहुंच गए हैं.
विवादों के बावजूद मैदान में टिके रहे
भूपेश बघेल ने राजनीति के दौर में कई मुश्किलों का सामना किया है. बघेल का सामना बड़े-बड़े विवादों से भी घिरे रहे. हाल ही में रमन सिंह सरकार के मंत्री राजेश मूणत से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी के मामले में जब भूपेश बघेल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल तक भेज दिया था, तब बघेल ने जमानत लेने से इनकार कर दिया. लेकिन बाद में आलाकमान के कहने पर वे बेल पर रिहा हुए और चुनाव की कमान संभाली. बघेल के इस रुख ने उनकी छवि उस योद्धा के तौर बनाई जो किसी भी तरह के दबाव में झुकने वाला नहीं था.
किसानों के लिए किए कई काम
भूपेश बघेल एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और कुर्मी जाती से आते हैं. उन्होंने अपना रिश्ता राज्य के किसानों से बहुत अच्छे से बनाए रखा. राज्य में जब धान खरीद में लिमिट लगी तो भूपेश बघेल ने राज्यभर के किसानों से अपील की कि वो सरकार को धान नहीं बेचें, राज्य सरकार को झुकना पड़ा और लिमिट 10 क्विंटल से बढ़ाकर 15 क्विंटल करनी पड़ी. बघेल ने राशन कार्ड रद्द करने के खिलाफ आंदोलन किया और इन आंदोलनों से उनकी इमेज जनता के काम करने वाले नेता के तौर पर बनती चली गई.