मध्यप्रदेश की कमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कमलनाथ को सौंपी है. गुरुवार को सीएम पद के लिए कमलनाथ (Kamal Nath) के नाम की घोषणा की गई. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को अपने आवास पर राज्य के पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदारों कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Sindhiya) को बुलाकर मीटिंग की. पार्टी विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय लेने के बाद राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता कमलनाथ के हाथों मध्य प्रदेश की कमान सौंपने का फैसला लिया. कमलनाथ मध्यप्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष थे, उनकी अगुवाई में ही इस विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की गई.
पेशे से बड़े बिजनेसमैन कमलनाथ मध्यप्रदेश की राजनीति में चार दशक से सक्रीय हैं. उनकी राजनीति के बड़े तजुर्बे के कारण उनके सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी कमजोरी पड़ी. 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ ने देहरादून के दून स्कूल के बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की है.
4 दशक से निभा रहें हैं कांग्रेस के लिए अपनी वफादारी
कमलनाथ इंदिरा के जमाने से कांग्रेस के वफादार नेता हैं. उनके कद्दावर अंदाज को ही देखते हुए ही एक समय कहा जाता था कि मध्यप्रदेश में बिना कमलनाथ की मंजूरी के कांग्रेस पार्टी में कोई भी फैसला नहीं होता था. कमलनाथ और संजय गांधी काफी अच्छे दोस्त थे. उनकी दोस्ती दून स्कूल से शुरू हुई और धीरे-धीरे इस तरह आगे बढ़ी कि कमलनाथ गांधी परिवार के करीब आते चले गए.
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लंबा सियासी तजुर्बा
कमलनाथ 4 दशक से राजनीति में सक्रीय है. उनके मुकाबले ज्योरादित्य सिंधिया का अनुभव बेहद कम है. मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लगातार नौ बार सांसद रह चुके कमलनाथ और एक उत्कृष्ट और कुशल नेता के रूप में जाने जाते हैं. कमलनाथ पहली बार सातवीं लोकसभा यानी 1980 में जीते. वह फिर 1985, 1989 और 1991 में भी जीते. जून 1991 में पहली बार वह केंद्रीय मंत्री बने. उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद मिला.
1995 से 1996 में कमलनाथ केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री रहे.1998 और 1999 में भी कमलनाथ विजयी रहे. 2001 से लेकर 2004 तक वह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे. 2004 में फिर चुनाव जीते तो मनमोहन सरकार में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हुए. 2009 तक इस पद रहे. 2009 में फिर से छिंदवाड़ा सीट से जीते तो यूपीए दो सरकार में सड़क परिवहन मंत्री बने. 2011 में कैबिनेट फेरबदल हुआ तो कमलनाथ को शहरी विकास मंत्री बनाया गया.अक्टूर 2012 में कमलनाथ को संसदीय कार्यमंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली.
चुनाव प्रचार में पार्टी को आर्थिक मजबूती दी
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं थी, चुनाव के लिए कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले चंदा भी बेहद कम मिला था. बावजूद इसके कमलनाथ ने आर्थिक स्थिति को राह का रोड़ा नहीं बनने दिया और पार्टी का उच्च स्तर पर प्रचार किया. कई बार पार्टी के कोष के खत्म होने की खबरें भी आई, लेकिन कमलनाथ ने इसका असर चुनाव प्रचार पर नहीं पड़ने दिया. कमलनाथ ने खुद अपने बल-बूते पर पार्टी को आर्थिक मजबूती दी.
पेशे से बिजनेस मैन कमलनाथ खुद दो दर्जन से अधिक कंपनियों के मालिक हैं. बता दें कि कमलनाथ के नाम मनमोहन सरकार में सबसे धनी केंद्रीय मंत्री होने का रिकॉर्ड रहा है. वर्ष 2011 में केंद्रीय मंत्री रहते कमलनाथ ने 2.73 बिलियन डॉलर यानी 2.73 अरब रुपये की संपत्ति घोषित की थी.
राजनितिक समीकरण के हर पहलु पर मजबूत पकड़
4 दशक के लंबे समय से राजनीति में सक्रीय कमलनाथ हर राजनैतिक समीकरण को बखूबी समझते हैं. छिंदवाड़ा से लगातार नौ बार से सांसद और कई बार केंद्रीय मंत्री रहे कमलनाथ हर तरह की रणीनीति का तोड़ निकालने में सक्षम हैं. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमान प्रदेश अध्यक्ष की रूप में संभालने वाले कमलनाथ राज्य की जनता की पसंद और विपक्षियों की राजनीति के नस-नस से वाकिफ हैं. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत में कमलनाथ का ही बड़ा हाथ है.
MP में पार्टी को बनाएं रखा
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी को बनाए रखने का पूरा श्रेय कमलनाथ को ही है. कमलनाथ ने पार्टी कार्यकर्ताओं को गुटबाजी से दूर रखा. अपने बेहतर नेतृत्व और कार्यशैली से कमलनाथ ने पार्टी के रूठे कार्यकर्ताओं को मनाया. उन्होंने कार्यकर्ताओं को हमेशा जीत के लिए प्रेरित तो किया ही और साथ ही उन्हें जीत का भरोसा भी दिया.