मध्य प्रदेश में खाद की लाइन में लगी महिला की मौत, प्रायोजित हत्या: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

भोपाल, 28 नवंबर : मध्य प्रदेश के गुना जिले में खाद की लाइन में लगी एक आदिवासी महिला की ठंड लगने से हुई कथित मौत के मामले में कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महिला की मौत को सरकार की लापरवाही से प्रायोजित हत्या करार दिया है. दरअसल, गुना जिले के बमोरी के बगेरा डबल लॉक खाद वितरण केंद्र पर यूरिया लेने के लिए कतार में लगी भूरी बाई नामक महिला की रात में मौत हो गई. आदिवासी महिला की मौत पर सियासत तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश में खाद के लिए भटकती एक आदिवासी महिला किसान भूरी बाई की मौत कोई साधारण हादसा नहीं, बल्कि सरकार की लापरवाही से हुई प्रायोजित हत्या है. भूरी बाई तीन दिनों तक लगातार खाद की लाइन में लगी. कभी मशीन खराब मिलती, कभी अधिकारी गायब रहते, कभी सिस्टम बंद बताया जाता.

उन्होंने कहा कि भूख, ठंड और थकान से उनकी हालत लगातार बिगड़ती रही, लेकिन न सरकार ने एम्बुलेंस की व्यवस्था की, न समय पर उपचार मिला. जब उनके परिवार वाले रात में उन्हें अस्पताल ले जा पाए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. यह मृत्यु नहीं, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था का नतीजा है जिसे सरकार ने खुद बनाया और किसानों पर थोप दिया है. कड़कड़ाती ठंड में किसान जमीन पर लेटकर रातें गुजारने को मजबूर हैं. असली किसान लाइन में ठिठुर रहा है और सत्ता सिर्फ बयानबाजी में व्यस्त है. यह भी पढ़ें : West Bengal: बशीरहाट में बांग्लादेशी नागरिक के भारतीय दस्तावेज बनवाने पर बड़ा खुलासा, भाजपा ने की शिकायत

कमलनाथ ने प्रशासन के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि सबसे दर्दनाक सच्चाई यह है कि प्रशासन तभी जागता है जब कोई किसान मर जाता है. भूरी बाई की मौत के बाद अचानक सिस्टम चल पड़ा. रात में मशीनें ठीक हो गईं, और सुबह साढ़े छह बजे तक खाद वितरण शुरू कर दिया गया. यह साबित करता है कि किसानों की मौतें इस सरकार के लिए चेतावनी का अलार्म बन चुकी हैं. सरकार वही काम करती है जो उसे पहले करना चाहिए था, लेकिन तब करती है जब किसी की जान चली जाती है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, "असलियत यह है कि खाद की कमी वास्तविक कमी नहीं है. कमी सिर्फ नीयत की है. प्रदेश में खाद मौजूद है, लेकिन उसे किसानों तक पहुंचने से पहले रोक दिया जाता है. माफिया, दलाल और कुछ अधिकारी मिलकर खाद को मुनाफे का साधन बना चुके हैं. गोदामों में बोरी छिपाकर रखी जाती है और बाजार में कालाबाजारी से बेची जाती है. इस पूरे खेल में किसान सिर्फ पीड़ित नहीं, बल्कि एक बलि का बकरा बन गया है."

किसानों की मौत की चर्चा करते हुए कमलनाथ ने कहा, "यह संकट सिर्फ खाद का संकट नहीं है, यह मानवीय संवेदनाओं का संकट है. मध्य प्रदेश में किसान बार-बार मर रहे हैं, कभी कर्ज से, कभी खाद की लाइन में, कभी सरकारी उपेक्षा के कारण. लेकिन सरकार की संवेदनशीलता शून्य बनी हुई है. उन्होंने कहा कि भूरी बाई सिर्फ खाद लेने नहीं गई थीं, वे अपना जीवन, अपनी इज्जत और किसान का अधिकार मांगने गई थीं. लेकिन सरकार ने उन्हें लाइन में खड़ा रखकर उनकी जान ले ली. यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि एक तंत्र द्वारा की गई हत्या है. और जब सरकार किसानों की मौत पर भी मौन रहे, तो वही मौन उसकी सहमति साबित करता है.