चीन की कीमत पर अमेरिका से डील करने वाले देशों को बीजिंग की चेतावनी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

रिपोर्टों के अनुसार वॉशिंगटन, देशों पर दबाव बना रहा है कि यदि वो अमेरिका के अगले टैरिफों के निशाने से बचना चाहते हैं तो चीन के साथ व्यापार ना करें. अब बीजिंग ने भी ऐसा करने वाले देशों को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है.चीन ने सोमवार को उन देशों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की धमकी दी जो बीजिंग को नजरअंदाज कर वॉशिंगटन के साथ व्यापार समझौते करके अमेरिका को "खुश" करने की कोशिश कर रहे हैं.

यह चेतावनी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद आई है जिसमें कहा गया है कि अमेरिका कई देशों पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है. अप्रैल की शुरुआत में ही अमेरिका ने कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए थे. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चाहता है कि यदि ये देश अपने निर्यात पर लगे इन टैरिफों से बचना चाहते हैं तो वे चीन के साथ व्यापार को बंद करें.

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि दर्जनों देश अपनी कारोबारी नीतियों पर दोबारा बातचीत करना चाहते हैं. प्रशासन का मानना है कि कुछ देश ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि वो अमेरिका के नए टैरिफों से बच सकें क्योंकि यह उनके निर्यात पर बुरा असर डाल सकता है.

फिलहाल अमेरिकी टैरिफ , चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों के लिए 90 दिन तक रोक दिए गए हैं. चीन पर अमेरिका इस समय 145 फीसदी का शुल्क लगा रहा है. बीजिंग ने भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी आयात पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है.

चीन ने क्या कहा

सोमवार को चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "तुष्टिकरण शान्ति नहीं ला सकता और समझौता सम्मान नहीं दिला सकता.” उन्होंने आगे कहा, "दूसरों के फायदे को ताक पर रखकर कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन खुद के लिए कुछ छूटों का लाभ उठाना, बाघ के साथ मोल-भाव करने जैसा है; जिसमें दोनों ही पक्षों का घाटा है और सभी को इसमें हानि पहुंचेगी.”

चीनी मंत्रालय ने कहा कि चीन अमेरिका के साथ अपने व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए अन्य देशों की कोशिशों का सम्मान करता है, लेकिन दूसरे देशों को भी "निष्पक्षता और न्याय के पक्ष में” खड़े होकर "इतिहास के पन्नों पर सही पक्ष” में दर्ज होना चाहिए.

अपनी बात को प्रवक्ता ने इस पर खत्म किया कि चीन ऐसे सभी देशों के खिलाफ है जो उसके नाम पर अमेरिका के टैरिफ से बचने की कोशिश कर रहे हैं. और वो उन देशों पर जवाबी कार्रवाई करेगा.

ब्लूमबर्ग ने मामले से परिचित सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिकी अधिकारी व्यापार साझेदारों पर चीन से अतिरिक्त वस्तुओं का आयात बंद करने के लिए दबाव बनाने तथा एशियाई दिग्गज के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले विशिष्ट देशों से आयात पर शुल्क लगाने की योजना पर चर्चा कर रहे हैं.

यह देश कर रहे अमेरिका से बातचीत

इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने कहा था कि लगभग 50 देशों ने नए टैरिफ से बचने के लिए उनसे संपर्क किया है. ट्रंप का कहना है कि नए टैरिफ से अमेरिका और बाकी दुनिया के बीच भारी व्यापार असंतुलन दूर होगा.

उसके बाद से कई द्विपक्षीय बातचीत हो चुकी है. जापान, वॉशिंगटन के साथ अपने समझौते के तहत अमेरिका से सोयाबीन और चावल का आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा है.

दक्षिण कोरिया का कहना है कि उसने एक योजना की रूपरेखा तैयार की है जिसमें जहाज निर्माण और पाइपलाइन जॉइंट वेंचर के साथ-साथ अमेरिका से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) खरीद शामिल होगी.

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने टैरिफों पर बात करने के लिए पहले ही शून्य टैरिफ की पेशकश कर दी है. साथ ही ताइवान की कंपनियां सौदे को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका में निवेश बढ़ाने की योजना बना रही हैं.

इस बीच, इंडोनेशिया ने कहा है कि वह अमेरिका से खाद्य और वस्तुओं का आयात बढ़ाने और अन्य देशों से ऑर्डर कम करने की योजना बना रहा है.

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस सोमवार को चार दिन के दौरे पर भारत पहुंचे हैं. दोनों देशों के बीच एक नए व्यापार समझौते के कयास लगाए जा रहे हैं.

यूरोपीय संघ ने बातचीत जारी रखने के लिए 23 अरब डॉलर के अमेरिकी आयात पर जवाबी टैरिफ लगाने की योजना फिलहाल रोक दी है.

अमेरिका और चीन के बीच फंसे देश

यदि अमेरिकी टैरिफ ऐसे ही लागू रहते हैं, तो ये चीन के प्रतिद्वंद्वियों को, खासकर दक्षिण पूर्व एशिया में, अमेरिका के लिए मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने का अवसर दे सकते हैं. जब से अमेरिका-चीन के व्यापार संबंधों में तनाव की शुरुआत हुई है तभी से इनमें से कई देशों ने एक अलग रुख अपनाया है. इन देशों को उन निर्माताओं से खासा लाभ हुआ है जो चीन से हटकर अब व्यापार कर रहे हैं और सप्लाई चेन में विविधता ला रहे हैं.

अमेरिका के साथ नए ऊर्जा सौदेकरके, एशियाई देश दुनिया के सबसे बड़े एलएनजी आयातक चीन को अधिक महंगे और कम विश्वसनीय स्रोतों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर कर सकते हैं. लेकिन इन देशों को सावधानी के साथ कदम उठाने होंगे. क्योंकि पिछले 20 सालों में वो चीन पर बहुत निर्भर हो गए हैं और चीन के साथ आगे कुछ और अवसरों की भी तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं.

दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रीय ब्लॉक आसियान ने 2024 में अमेरिका (398 अरब डॉलर) के मुकाबले चीन (975 अरब डॉलर) के साथ दोगुने से अधिक व्यापार किया था.

चीन में पॉलिसी कंसल्टेंसी फर्म प्लेनम के एक पार्टनर बो झेंगयुआन ने कहा, "सच्चाई यह है कि कोई भी एक पक्ष नहीं लेना चाहता है." उन्होंने आगे कहा, "यदि देशों की निवेश, औद्योगिक बुनियादी ढांचा,तकनीकी मालूमात और उपभोग के मामले में चीन पर निर्भरता ज्यादा है, तो मुझे नहीं लगता कि वे अमेरिका की मांगों को मानेंगे."