सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार को कहा कि विवादित भूमि पर हिंदुओं का दावा मुसलमानों द्वारा पेश किए सबूतों की तुलना में बेहतर पर है. शीर्ष अदालत ने विवादित स्थल पर राम मंदिर (Ram Temple) बनाने का आदेश दिया और साथ ही इसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना के भी निर्देश दिए. अदालत ने अयोध्या (Ayodhya) में मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने मुसलमानों को संभावित संतुलन के आधार पर भूमि का आवंटन आवश्यक माना.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर अपना फैसला सुनाते हुए संतुलन को भी ध्यान में रखा, जबकि अदालत ने स्पष्ट प्रमाण भी देखे कि 1857 के समय बाहरी आंगन में हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती थी. अदालत ने कहा, "मुसलमानों ने कोई सबूत नहीं दिया है कि सोलहवीं शताब्दी में निर्माण की तारीख से 1857 से पहले तक यह आंतरिक संरचना (भगवान राम की जन्मभूमि) उनके कब्जे में थी."
मुस्लिम पक्ष को राहत देते हुए अदालत ने संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया. अदालत ने यह देखा कि मुस्लिम समुदाय को उनकी पूजा स्थल के अवैध विध्वंस के लिए पुनस्र्थापन प्रदान करना आवश्यक है और अदालत ने पांच एकड़ भूमि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का निर्देश दिया. बोर्ड को यह जमीन केंद्र या राज्य सरकार में कोई भी सरकार विकल्प के तौर पर प्रदान करेगी.