लोकसभा चुनाव 2019: रिपोर्ट में दावा- अबतक का सबसे महंगा चुनाव, 60 हजार करोड़ हुए खर्च, हर वोटर पर खर्च हुए इतने रुपये

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक 2014 के मुकाबले 2019 में डबल पैसा खर्च किया गया. 2014 में 30 हजार करोड़ रुपए हुए थे. अब पांच साल में दोगुना होकर 60 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है.

पीएम मोदी और राहुल गांधी (Photo Credits: Twitter@BJP4India/IANS)

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election) खत्म हो गया है. प्रचंड बहुतम के साथ एक बार फिर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए (NDA) की सरकार बनी. दूसरी तरफ इस चुनाव से जुड़े आंकड़े आपको चौका सकते हैं. बताना चाहते है कि संसदीय चुनाव 2019 अब तक सबसे महंगा चुनाव है. 7 चरणों और 75 दिनों तक चले इस चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये आकलन निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने किया है.

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ( Centre for Media Studies) के मुताबिक 2014 के मुकाबले 2019 में डबल पैसा खर्च किया गया. 2014 में 30 हजार करोड़ रुपए हुए थे. अब पांच साल में दोगुना होकर 60 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है. करीब प्रति लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat) पर 100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इससे पता चलता है प्रति वोटर 700 रुपए खर्च हुए. यहां क्लिक कर देखें पूरी रिपोर्ट.

ज्ञात हो कि सीएमएस (CMS) की रिसर्च में पता चला है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे जो इस बार बढ़कर दोगुना हो गया. इस तरह से भारत (India) का 2019 का लोकसभा चुनाव अबतक का सबसे महंगा चुनाव (Election) हो गया है. सीएमस ( Centre for Media Studies) का दावा है कि यह अब तक दुनिया का सबसे महंगा चुनाव है. यह भी पढ़े-लोकसभा चुनाव 2019 में मिली शानदार जीत के बाद अब पीएम मोदी और राहुल गांधी के बीच इन राज्यों में होगी टक्कर

इस रिपोर्ट को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली (Delhi) में जारी किया गया. इस दौरान देश के पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी भी मौजूद रहे. रिपोर्ट के मुताबिक 12 से 15 हजार करोड़ रुपये मतदाताओं पर खर्च किए गए, 20 से 25 हजार करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च हुए, 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपये लॉजिस्टिक पर खर्च हुए. 10 से 12 हजार करोड़ रुपये औपचारिक खर्च था.

यहां यह बताना जरूरी है कि चुनाव आयोग ( Election Commission of India)  से मान्यता प्राप्त खर्च की वैध सीमा मात्र 10 से 12 हजार करोड़ रुपये थी. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तो दो-दो हजार रुपए तक वोटरों को बांटे गए. इस चुनाव 90 हजार से अधिक वोटर थे. राजनीतिक पार्टियों नें चुनाव प्रचार में करीब 25 हजार करोड़ रुपए खर्च किए.

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