Parliament Session 2024: राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा पर चर्चा की मांग को लेकर लोकसभा के बाद राज्यसभा में हंगामा, विपक्षी सांसदों के वेल में पहुंचने से सभापति जगदीप धनखड़ हुए नाराज (Watch Video)
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Parliament Session 2024: लोकसभा में राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (NEET) पर हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. उधर, राज्यसभा में एनडीए के सहयोगी और पूर्व पीएम देवगौड़ा ने नीट पेपर लीक का मुद्दा उठाया और कहा कि हमें इस मामले में सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई सांसद राज्यसभा में नियम 267 के अंतर्गत नीट परीक्षा पर चर्चा की मांग करने लगे. हालांकि, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की इस मांग को खारिज कर दिया.

इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन में जमकर नारेबाजी की और कुछ सांसद वेल में पहुंच गए. इस पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसदों का नाम लेकर उन्हें अपनी सीट पर बैठने की सलाह दी. धनखड़ ने कहा कि आज भारतीय संसद के इतिहास में ऐसा कलंकित दिन है कि विपक्ष के नेता खुद वेल में आ गए. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. इस घटना से मैं दुखी और स्तब्ध हूं. भारतीय संसदीय परंपरा इस हद तक बिगड़ जाएगी कि विपक्ष के नेता और उपनेता वेल में आएंगे.

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विपक्ष के नेता के वेल में आने से दुखी और स्तब्ध हूं: जगदीप धनखड़

इस घटना को लेकर राज्यसभा के एलओपी मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ की गलती है. मैं उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए अंदर गया था, लेकिन तब भी वे नहीं देख रहे थे. मैं ध्यान आकर्षित कर रहा था. वे केवल सत्ता पक्ष को देख रहे थे. जब मैं उनका ध्यान आकर्षित करता हूं, तो नियमानुसार उन्हें मेरी तरफ देखना चाहिए. लेकिन इसके बजाय उन्होंने जानबूझकर मुझे अनदेखा कर मेरा अपमान किया. इसलिए ध्यान आकर्षित करने के लिए मुझे या तो अंदर जाना होगा या बहुत जोर से चिल्लाना होगा. इसलिए मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि यह चेयरमैन साहब की गलती है.

विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश की गई, इसलिए वेल में गए: मल्लिकार्जुन खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को ऐसा नहीं करना चाहिए और इस राज्यसभा की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (NEET) में इतना बड़ा घोटाला हुआ है. लाखों बच्चे परेशान हैं. इसलिए लोगों की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए हमने एक विशिष्ट चर्चा की मांग की. हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे, हम केवल छात्रों के मुद्दे उठाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने इसे मौका ही नहीं दिया. इसलिए हमें यह करना पड़ा.