Badrinath Assembly Seat: उत्तराखंड में हुए दो विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. मंगलौर और बदरीनाथ दोनों ही विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. ऐसे में अब सवाल यह उठने लगा है कि क्या इन दोनों चुनाव के नतीजे उत्तराखंड में होनेवाली 2027 की विधानसभा चुनाव की तस्वीरें स्पष्ट कर रही हैं. क्या देवभूमि में भाजपा का प्रभाव कम होता जा रहा है? हालांकि उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों पर बीजेपी को मिली हार की समीक्षा की बात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने की है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने तो यहां तक कहा कि पूर्व में वह भी बदरीनाथ सीट पर चुनाव हार चुके हैं. इस सीट पर हुई हार को पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि पार्टी चुनाव में हार के कारणों पर मंथन करेगी.
बद्रीनाथ सीट पर जीत से गदगद हुई कांग्रेस
#WATCH | Delhi: On assembly by-poll results, Congress leader Pawan Khera says, "...These by-elections which were held on 13 seats are very important. For the second time in one and a half months, the people of the country gave a strong message to the BJP. The message was very… pic.twitter.com/T3z8R2jsW6
— ANI (@ANI) July 13, 2024
विधान उपचुनाव नतीजों पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 13 सीटों पर हुए ये उपचुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तराखंड में हमने अपनी दोनों सीटें बद्रीनाथ और मंगलौर जीतीं. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने 3 में से 2 सीटें जीतीं. अगर कुल 13 सीटों का आकलन करें तो भाजपा को सिर्फ 2 सीटें मिलीं. डेढ़ महीने में दूसरी बार देश की जनता ने भाजपा को कड़ा संदेश दिया है. लोकसभा चुनाव में संदेश बहुत साफ था. ये तो बस शुरुआत है.
वहीं, इन सब के बीच भाजपा बदरीनाथ और मंगलौर सीट पर अपनी हार की समीक्षा की बात कर रही है। लेकिन, भाजपा को यह भी देखना होगा की क्या चार धाम यात्रा में इस बार फैली अनियमितता ने बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के लोगों में गुस्सा भर दिया, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा. जिस तरह यहां बदरीनाथ और केदारनाथ के साथ यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा की शुरुआत के साथ ही अनियमितता और प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली क्या भाजपा के लिए वह इस उपचुनाव में परेशानी का कारण तो नहीं बन गया. ऐसा कहने के पीछे की वजह यह भी है कि यहां के स्थानीय लोगों की जिंदगी को सुचारू रूप से चलाने में इस यात्रा का अहम योगदान है. इस यात्रा की वजह से उन्हें रोजगार मिलता है और यह रोजगार उनके सालभर के जीवनयापन का साधन होता है. ऐसे में जिस तरह की अनियमितता यात्रा की शुरुआत में ही दिखी उसने यहां के स्थानीय लोगों के व्यापार पर भी असर डाला. भाजपा इस सीट पर जब जीत हार की समीक्षा करेगी तो उसे इस पर भी ध्यान देना होगा.
हालांकि ऐसा कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि देवभूमि में भाजपा का प्रभाव कम होता जा रहा है क्योंकि अभी हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में यहां की 5 में से 5 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. इस सब के बाद विधानसभा उपचुनाव में आए ऐसे नतीजे भाजपा को समीक्षा करने पर मजबूर कर रहे हैं. बदरीनाथ की सीट पर जो जीत कांग्रेस ने दर्ज की है वह ज्यादा अप्रत्याशित है. इस सीट पर कांग्रेस के लखपत बुटोला ने धमाकेदार जीत दर्ज की है. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भंडारी को 5 हजार से अधिक वोटों से हराया है. अब बदरीनाथ सीट को लेकर चर्चा क्यों गर्म है इसको जरा गौर से देखिए. यह सीट चमोली जिले में पड़ता है. राज्य गठन के पहले इस बदरीनाथ विधानसभा सीट को बदरी-केदार नाम से जाना जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद 2012 में दशोली, जोशीमठ, गोपेश्वर के साथ इसमें पोखरी क्षेत्र को भी जोड़ा गया और इसका नाम बदलकर बदरीनाथ विधानसभा सीट हो गया.
उत्तराखंड की गंगोत्री सीट की ही तरह इस सीट को लेकर भी एक मिथक जुड़ा हुआ है कि जिस दल का प्रत्याशी यहां से विधानसभा पहुंचता है प्रदेश में उसी दल की सरकार बनती है. ऐसे में अब कांग्रेसी कार्यकर्ता इस सीट पर जीत को लेकर उत्साहित हैं. इस सीट पर कुल यहां 102128 वोटर हैं. बता दें कि यहां इस सीट पर 2002 और 2012 में कांग्रेस और 2007 और 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. वर्तमान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट इस सीट से 2017 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. फिर 2022 में बद्रीनाथ सीट से महेंद्र भट्ट को हार का सामना करना पड़ा था. यह सीट पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी ने जीती थी. जो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आ गए थे. राजेंद्र भंडारी इस उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. यानी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राजेंद्र भंडारी पर पार्टी ने भरोसा तो दिखाया लेकिन वह अपनी करिश्मा दोहराने में नाकामयाब रहे.
बदरीनाथ विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक और दलित आबादी बड़ी संख्या में है. ऐसे में इस सीट पर जीत के लिए भाजपा को मशक्कत करनी पड़ती है. इस सीट पर कांग्रेस की जीत के पीछे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि राहुल गांधी ने जिस जोर-शोर से युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा उठाया वह जनता के रास आया. साथ ही यह भी साफ हो गया है कि बसपा की वोट बैंक में कांग्रेस ने सेंध लगाने का जो प्रयोग यूपी में किया था उसमें वह उत्तराखंड में भी कामयाब हुई. कांग्रेस तो बदरीनाथ सीट पर भाजपा की हार को अयोध्या से भी जोड़ने लगी है. वह कहने लगे हैं कि भगवान बीजेपी से नाराज हैं. अयोध्या हार चुकी भाजपा इस उपचुनाव में बदरीनाथ सीट भी हार गई है और बदरीनारायण भगवान का आशीर्वाद कांग्रेस को मिला.