नई दिल्ली. प्रदुषण को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को जनता को साफ पानी और हवा न मुहैया कराने पर मुआवजा देने के लिए नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी राज्यों को नोटिस जारी करने के साथ ही हवा की गुणवत्ता, पानी और कचरा निपटान पर रिपोर्ट भी मांगी है. केन्द्र से कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में नागरिकों की उम्र कम कर रहे प्रदूषण से निपटने के लिये 10 दिन के भीतर ‘स्मॉग टावर’ लगाने के बारे में ठोस निर्णय लिया जाये. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण से बचने के मामले में पंजाब, हरियाणा, यूपी (Uttar Pradesh) और दिल्ली (Delhi) के प्रदर्शन पर नाराजगी व्यक्त की है. साथ ही कहा कि उन्हें क्यों नहीं वायु की खराब गुणवत्ता से प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पराली जलाने की स्थिति को चिंताजनक बताते हुये कहा कि इसके लिये सरकारी तंत्र ही नहीं बल्कि किसान भी जिम्मेदार हैं. पीठ ने गंगा और यमुना सहित विभिन्न नदियों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये संबंधित राज्यों द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी रिपोर्ट मांगी है. यह भी पढ़े-दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी, कहा ‘विस्फोटक के 15 बैग लगा के सबको उड़ा दो’
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति से निबटने के लिये ‘स्मॉग टावर’ लगाने के बारे में दस दिन के भीतर निर्णय लिया जाये. पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों के बावजूद इसे जलाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा को आड़े हाथ लिया. कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली के लोगों को मरने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता.
पराली जलाने पर पाबंदी लगाये जाने के बावजूद इन राज्यों के इस पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा, ‘‘क्या इसे बर्दाश्त किया जाना चाहिए? क्या यह आंतरिक युद्ध से कहीं ज्यादा बदतर नहीं है? बेहतर होगा कि आप इन सभी को विस्फोट से खत्म कर दें.’’पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली-एनसीआर के लोगों का ‘दम घुंट’ रहा है और लाखों लोगों की उम्र कम हो रही है.
शीर्ष अदालत ने दिल्ली में जल और वायु प्रदूषण के मसले पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के लिये केन्द्र और राज्यों को भी फटकार लगायी. न्यायालय ने दिल्ली में जल प्रदूषण के मामले को गंभीरता से लेते हुये कहा कि लोगों को शुद्ध पीने का पानी प्राप्त करने का अधिकार है.
(भाषा इनपुट के साथ)