संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा, देश का कानून सर्वोपरि है, आपकी नीति नहीं
ट्विटर (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली, 19 जून : सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) पर संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार को ट्विटर (Twitter) से कहा कि देश का कानून सर्वोच्च है, न कि उनकी नीति. आईटी मामलों पर संसदीय स्थायी समिति ने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट से सख्त लहजे में यह भी कहा कि नियमों का उल्लंघन करने पर क्यों ने उस पर जुमार्ना लगाया जाए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय संसदीय स्थायी समिति, जिसमें 21 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं, ने प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग से संबंधित मुद्दों पर ट्विटर को तलब किया था. सूत्रों ने कहा कि ट्विटर इंडिया की लोक नीति प्रबंधक शगुफ्ता कामरान और विधिक परामर्शदाता आयुषी कपूर ने शुक्रवार को समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा. उन्होंने कंपनी की उस नीति पर अपना पक्ष रखा, जिस पर सवाल उठाया गया था और उसकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल पूछे गए थे.

एक सूत्र ने कहा, सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने दावा किया है कि ट्विटर इंडिया के ज्यादातर फैक्ट चेकर्स खुले तौर पर नरेंद्र मोदी शासन का विरोध कर रहे हैं. फिर इस पक्षपातपूर्ण नजरिए से वे निष्पक्ष तथ्य की जांच आखिर कैसे करते हैं. सूत्र के अनुसार, समिति के एक भाजपा सदस्य ने कहा कि ट्विटर ने पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को हेरफेर मीडिया के रूप में लेबल करने के लिए जल्दबाजी दिखाई, लेकिन इसने हाल ही में गाजियाबाद की घटना या दिल्ली के हिंसा के बारे में कुछ व्यक्त नहीं किया. सूत्र ने कहा, ट्विटर ने इस पर सदस्य के आरोपों का जवाब नहीं दिया. समिति के सदस्यों ने ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधि की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई कि इसकी नीति नियमों के अनुरूप है. सूत्र ने कहा, समिति ने ट्विटर को स्पष्ट रूप से बताया कि कानून सर्वोच्च है, न कि आपकी नीति. विपक्षी दलों सहित सभी सदस्यों ने ट्विटर के खिलाफ एक स्वर में बात की. यहां तक ????कि तृणमूल कांग्रेस नेता मोहुआ मोइत्रा ने भी ट्विटर पर सवाल किया कि उसने आखिर नियमों का पालन क्यों नहीं किया. सदस्यों ने पूछा कि आखिर उस पर कानून का उल्लंघन करने के लिए क्यों नहीं जुमार्ना लगाया जाना चाहिए. यह भी पढ़ें : Delhi Unlock: कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी के बीच दिल्ली के बजारों में उमड़ रही भीड़

यह पता चला है कि ट्विटर ने आईटी मध्यस्थ नियमों को अपनाने में देरी के लिए महामारी को जिम्मेदार ठहराया, जिस पर सदस्यों ने पूछा कि जब अन्य सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इनका पालन कर सकते हैं, तो ट्विटर क्यों नहीं कर सकता. एक बयान में, ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा, हम सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के समक्ष अपने विचार साझा करने के अवसर की सराहना करते हैं. पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के हमारे सिद्धांतों के अनुरूप नागरिकों के अधिकारों की ऑनलाइन सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य पर समिति के साथ काम करने के लिए ट्विटर तैयार है. उन्होंने कहा, हम सार्वजनिक एवं सुरक्षा के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में भारत सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे. इससे पहले सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने ट्विटर को अपने मंच के दुरुपयोग की रोकथाम पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए 18 जून को उसके सामने पेश होने के लिए कहा था.