Parliament Special Session: महिला आरक्षण बिल के बाद मोदी सरकार का है कुछ बड़ा प्लान... क्या ऐतिहासिक निर्णय होना है बाकी?
PM Narendra Modi | PTI

नई दिल्लीः करीब तीन दशकों के बाद महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill) को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से आज नए संसद भवन में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया. जिसे ध्वनिमत के जरिए लोकसभा से पास किया गया. संसद के विशेष सत्र के पहले दिन केंद्रीय कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी. बिल को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कानून बनने पर संसद में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी. दोनों सदनों से इस बिल के पास होते ही संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण तय हो जाएगा. यह बिल कानून बनने के बाद 15 साल तक लागू रहेगा. हालांकि आरक्षण की समयसीमा बाद में बढ़ाई जा सकती है. Parliament Special Session: जब पहली बार संसद भवन पहुंचे थे नरेंद्र मोदी... PM ने सुनाया किस्सा | VIDEO.

महिला आरक्षण बिल पर कैबिनेट की मुहर के बाद अब हर किसी के मन में यह सवाल है कि यही वह ऐतिहासिक निर्णय है जो इस सत्र में लिया जाना था, या पीएम मोदी अभी कोई और सरप्राइज देने वाले हैं. विपक्ष में भी इस बात को लेकर खलबली है कि क्या मोदी सरकार का असली सरप्राइज आना अभी बाकी है या महिला आरक्षण बिल ही वह ऐतिहासिक सरप्राइज है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने अंतिम क्षण में सकते में डालने के लिए अपने पास कोई एजेंडा रखा है.

संसद के पांच दिनों के विशेष सत्र का एजेंडा सामने आने के बाद भी इसे लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं. महिला आरक्षण को लेकर जब कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद भवन पहुंची तो संवाददाताओं ने उनसे महिला आरक्षण बिल को लेकर सवाल पूछा. इस सवाल पर सोनिया गांधी ने कहा, 'यह हमारा है, अपना है.' ऐसे में चर्चा यह भी है कि महिला आरक्षण बिल वह एतिहासिक निर्णय नहीं है असल एतिहासिक फैसला अभी बाकी है. कयास तो यह भी लगे जा रहे हैं कि समान नागरिक संहिता और देश का नाम बदलने का विधेयक संसद में ला जा सकता है. हालांकि, सरकार ने सारे पत्ते अभी नहीं खोले हैं.

क्या है महिला आरक्षण बिल?

महिला आरक्षण बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पेश किया. इस बिल में लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. इसका मतलब ये हुआ कि अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी.

लोकसभा में इस समय 82 महिला सदस्य हैं. इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें महिलाएं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. सिर्फ लोकसभा में ही नहीं बल्कि तमाम राज्यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा.

15 साल के लिए आरक्षण

इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा. 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा.