Odisha Train Accident: 'फुल स्पीड में थी कोरोमंडल एक्सप्रेस, रोकना असंभव था...', ओडिशा ट्रेन हादसे पर रेलवे का बयान

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे को लेकर भारतीय रेलवे ने बयान दिया है. रेलवे के मुताबिक हादसे के वक्त कोरोमंडल एक्सप्रेस फुल स्पीड में थी और उसे रोकना संभव नहीं था. इस हादसे में अब तक 288 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

Odisha Train Accident

Balasore Train Accident: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे को लेकर भारतीय रेलवे ने बयान दिया है. रेलवे के मुताबिक हादसे के वक्त कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) फुल स्पीड में थी और उसे रोकना संभव नहीं था. बता दें कि इस हादसे में अब तक 288 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोमंडल एक्सप्रेस में 1257 लोगों ने रिजर्वेशन कराया था जबकि हावड़ा यशवंत पुर एक्सप्रेस में 1039 लोगों ने रिजर्वेशन कराया था.

ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी,  उसी दौरान अप लूप लाइन पर वो मालगाड़ी से टकरा गई. ट्रेन पूरी रफ्तार में थी और उसे स्टेशन पर रोकना असंभव था, जिसकी वजह से 21 कोच डीरेल हो गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए. इसी समय डाउन लाइन की ट्रेन 12864 यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन से गुजर रही थी, जो कोरोमंडल से टकरा गई. इसके बाद हावड़ा एक्सप्रेस के दो डिब्बे भी पटरी से उतर गए. ये भी पढ़ें- Odisha Train Accident: ममता बनर्जी और अश्विनी वैष्णव के बीच टकराव! बंगाल CM ने ऐसा क्या कहा जिस पर रेल मंत्री ने जताई आपत्ति?

हादसे में बचे एक यात्री अनुभव दास ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार लगभग 110-115 किमी प्रति घंटा थी. तभी अचानक हादसा हो गया. महज 30-40 सेकंड के भीतर कई लोग घायल हो गए. सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. हर जगह लोगों मदद के लिए चिखते-चिल्लाते दिखे. थोड़ी देर बाद स्थानीय लोगों की भीड़ वहां पहुंच गई. वें लोगों की मदद  करने में जुट गए.

हादसा भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से करीब 171 किलोमीटर और खड़गपुर रेलवे स्टेशन से करीब 166 किलोमीटर दूर स्थित बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटनास्थल का दौरा किया. घटनास्थल पहुंचकर पीएम मोदी ने रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और वहां मौजूद अधिकारियों से बातचीत की. इसके बाद वह घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने मरीजों का हाल जाना.

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