ओडिशा: 49 वर्षीय बिनोदिनी सामल, ओडिशा के ढेंकनाल जिले के राठीपाल प्राथमिक विद्यालय में टीचर हैं. बिनोदिनी को अपने स्कूल पहुंचने के लिए मॉनसून के दौरान गर्दन तक डूबकर रोजाना नदी पार करनी पड़ती है. बिनोदिनी 2008 से प्राथमिक विद्यालय में 'गणाशिक्षक' के रूप में पढ़ा रही हैं, ये शिक्षक ओडिशा स्कूल और जन शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त हजारों संविदा शिक्षकों में से एक हैं. सामल जिस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाती हैं, उसमें 53 छात्र हैं और यह स्कूल सपुआ नदी पर स्थित है. ये स्कूल बिनोदिनी के घर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है.
इस नदी पर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ है, लेकिन अब तक इस पर ब्रिज बनाया नहीं जा सका है. बरसात के दौरान बिनोदिनी और प्रधानाध्यापिका काननबाला मिश्रा के लिए स्कूल पहुंचना बहुत ही मुश्किल कार्य बन जाता है. प्रधानाध्यापक और छात्रों को कभी-कभी बरसात के दौरान नदी के तेज बहाव के कारण स्कूल से छुट्टी करनी पड़ती है. दो दिन पहले गर्दन तक गहरे पानी में नदी पार करते हुए बिनोदिनी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. तस्वीर में बिनोदिनी ऊपर की और दोनों हाथ से बैग पकड़े हुए हैं, इस दौरान वो इम्पोर्टेंट चीजें और मोबाइल प्लास्टिक की थैली में रखती हैं.
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एक अच्छी तैराक होने के बावजूद, कई बार ऐसा होता है कि वो बहने लगती हैं. उन्होंने बताया कि, 'दो साल पहले, मुझे नदी ने फेंक दिया गया था और जब तक मुझे सपोर्ट के लिए कोई ठोस पत्थर नहीं मिला मैं बहती रही. उन्होंने बताया कि, 'उस दिन मेरा वैनिटी बैग पूरी तरह से गीला हो गया था. उनका कहना है कि सालों से वो कॉन्ट्रेक्ट पर पढ़ा रही हैं, लेकिन उनकी नौकरी पर्मानेंट नहीं हुई, जबकि 8 साल बाद 2016 में उनकी नौकरी पर्मानेंट हो जानी चाहिए थी.
बिनोदिनी ने कहा, 'मुझे पिछले 3 साल से 27,000 रूपये मासिक वेतन मिलना चाहिए था, लेकिन मुझे अभी तक नहीं मिला है.' ये मामला सामने आने के बाद ढेंकनाल के जिला कलेक्टर भुनेश बेहरा ने कहा कि उन्हें स्कूल के शिक्षक की कठिनाइयों के बारे में पता नहीं था और वह इसका विवरण मांगेंगे.