Prophet Remarks Row: नूपुर शर्मा फिर पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, गिरफ्तारी पर रोक लगाने और सभी FIR को एक जगह ट्रांसफर करने की मांग की

निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मुहम्मद पर उनकी टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज नौ प्राथमिकी के संबंध में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है

सुप्रीम कोर्ट व नूपुर शर्मा (Photo Credits ANI)

Prophet Remarks Row: निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मुहम्मद पर उनकी टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज नौ प्राथमिकी के संबंध में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है.. इसके साथ ही शर्मा ने सभी एफआईआर को दिल्ली में दर्ज मामले के साथ जोड़ने की अपील भी की है. नई याचिका में, शर्मा ने कहा है कि शीर्ष अदालत द्वारा उनकी पिछली याचिका पर कड़ी टिप्पणियों के बाद, उन्हें फिर से जान से मारने की धमकी मिली थी.

उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि एक व्यक्ति के खिलाफ एक ही अपराध के लिए देश के कई हिस्सों में कई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती हैं. शर्मा ने अपनी नई याचिका में अपने खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी को दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में जोड़ने का निर्देश देने की भी मांग की और अदालत से उन्हें पिछली याचिका पर आगे बढ़ने का निर्देश देने की भी मांग की. यह भी पढ़े: Prophet Remarks Row: नूपुर शर्मा को कोलकाता पुलिस ने फिर किया तलब, एक महीने में तीसरा नोटिस भेजा

1 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा को फटकार लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जिनकी पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि उनकी ढीली जुबान ने पूरे देश में आग लगा दी है और उनकी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी से पता चलता है कि वह हठी और घमंडी हैं.

शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया था, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकियों को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। हालांकि, तब बेंच ने शर्मा को एक टीवी डिबेट के दौरान एक धर्म के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने के लिए फटकार लगाई थी. अदालत ने तब कहा था, "ये टिप्पणियां बहुत परेशान करने वाली हैं, उनके अहंकार को दर्शाती हैं. इस तरह की टिप्पणी करने का उनका क्या मतलब है?"

जैसे ही सिंह ने उनके द्वारा जारी लिखित माफी की ओर इशारा किया, पीठ ने कहा, "इस महिला की जीभ ढीली है.. भड़काऊ बयान दे रही है. उसे टीवी पर जाना चाहिए और पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। कृपया हमें हमारा मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें. एक दर्जी की निर्मम हत्या के संदर्भ में शर्मा के विवादित बयान का जिक्र करते हुए अदालतने कहा, "यह बहुत परेशान करने वाला है.. उदयपुर में जो हुआ, वह इसी का परिणाम है.

जैसा कि सिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अर्नब गोस्वामी मामले में एक ही कथित अपराध के लिए कष्टप्रद कई प्राथमिकी को रोकने के लिए सिद्धांत निर्धारित किया है, और यह कि उनके मुवक्किल को सुरक्षा खतरे का सामना करना पड़ रहा है और अब उनके लिए यात्रा करना सुरक्षित नहीं होगा, पीठ ने जवाब दिया, "उसे धमकियों का सामना करना पड़ता है या वह खुद ही सुरक्षा के लिहाज से खतरा बन गई है? देश में जो हो रहा है उसके लिए यह अकेले ये महिला ही जिम्मेदार है.

शीर्ष अदालत ने तब उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिससे उन्हें याचिका वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

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