Bihar Water Crisis: देश के कई राज्यों में गिरता हुआ भूजल स्तर चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि पंजाब और हरियाणा में इसकी स्थिति काफी बदतर है. लेकिन आज हम बात बिहार की करेंगे, जहां बरसात के सीजन में स्थिति भी ठीक नहीं है. यहां के भूजल स्तर में काफी गिरावट आई है. जिसके वजह से चापाकल या सिचाई वाले पंप से पानी आना ख़त्म हो गया है जिसके वजह से पानी की काफ़ी किल्लत हो गई है. अभी तक बारिश नहीं होने से धान की खेती सही तरीके से नहीं हो पाई है और प्रशाशन के आदेशानुसार खेती के लिए वाटर पंप न चलाने के वजह से धान की खेती भी नहीं हो पाई है. यह भी पढ़ें: IMD ने बताया अगले पांच दिनों में कैसा रहेगा देशभर में मौसम, इन राज्यों में होगी मूसलाधार बारिश
मानसून में भूजल स्तर गिरने के कारण पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, सारण, सीवान, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर समेत अन्य कई जिलो में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है.
पिछले कुछ महीनो में लगातर जलस्तर गिरने से गांव में लोग पानी की किल्लत को झेल रहे है क्योकि व्यक्तिगत चापाकल से पानी नहीं आने के वजह से पीने के लिए नल जाल परियोना के तहत लगाए गए हर घर नल के पानी पर निर्भर है लेकिन इसके सही संचालन या मैनेजमेंट और मेंटेनेंस के वजह से पानी के बर्बादी से लेकर टूटे-फूटे पाईपो से निकलने वाले गंदे पानी का उपयोग अपने दिनचर्या के कार्यो में इस्तेमाल कर रहे है. जो गंदगी के कारण पीने योग्य नहीं राह जाता लेकिन मजबूरन लोग इसका इस्तेमाल कर रहे है. वही, लोग पानी के लिए लम्बी कतारे लगा कर पानी का प्रबंध कर रहे है. ऐसी स्तिथि कभी नहीं देखा गया था.
इस साल उत्तर बिहार में किसानो को भी भारी नुकसान होने की संभावना है क्योकि पानी की कमी के कारण सिचाई या धान की रोपाई सही नहीं हो पा रही है. जिससे किसान काफ़ी परेशान है. खेती पर निर्भर गरीब किसान मजबूरन दूसरे प्रदेशो में काम के लिए पलायन करना शुरू कर दिया है ताकि अपने परिवारों के लिए उचित भोजन का प्रबंध कर सके. अभी तक मौसम ने भी अपना रुख नहीं बदला है. लेकिन उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बारिश हो और लोगो के हलक में जान आए. देश के आधे हिस्से में बाढ़ की स्तिति बनी हुई है लेकिन बिहार में लोग पानी के लिए तरस रहे है.