नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने गुरुवार को कहा कि उसके एएन-32 विमान के सभी 13 सवार मारे गए हैं, और सभी शवों को असम के जोरहाट पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. यह विमान अरुणाचल प्रदेश में तीन जून को दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. वायुसेना ने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
राज्य सरकार के एक अधिकारी गिजुम ताली ने आईएएनएस से कहा कि दुर्घटना में मारे गए पीड़ितों के शव क्षत-विक्षत पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक सात शव बरामद कर लिए गए हैं. वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
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उन्होंने कहा, "यह पता नहीं चल पाया है कि विमान का ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट रिकॉर्डर दुर्घटनास्थल से बरामद हुआ है या नहीं." आईएएफ ने ट्वीट किया, "बचाव दल के आठ सदस्य आज (गुरुवार) सुबह दुर्घटना स्थल पर पहुंचे. आईएएफ को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि एएन-32 की दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा है."
इसमें कहा गया है, "वायुसेना, दुर्घटना में अपनी जान गंवाने वाले बहादुर वायु योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करती है..और मृतकों के परिवारों के साथ खड़ी है. उनकी आत्मा को शांति मिले."
भारतीय वायुसेना ने मृतकों की पहचान विंग कमांडर जी.एम. चार्ल्स, स्कवाड्रन लीडर एच. विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर. थापा, ए. तंवर, एस. मोहंती, एम. के. गर्ग, वारेंट ऑफिसर के. के. मिश्रा, सार्जेट अनूप कुमार, कॉरपोरल शेरिन, लीडिंग एयरक्राफ्ट मैन एस.के. सिंह व पंकज, नॉन कॉम्बेटेंट (इनरोल) पुताली और राजेश कुमार के रूप में की है.
वायु सेना ने मंगलवार को लापता वाहक के मलबे की पहचान की. यह लिपो से 16 किमी उत्तर में व समुद्र तल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर था. मलबे का पता एमआई-17 हेलीकॉप्टर से आठ दिनों बाद एक व्यापक तलाशी अभियान के बाद चला.
एएन-32 विमान ने असम के जोरहाट से तीन जून को चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले के मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्रांउड के लिए उड़ान भरी थी लेकिन उड़ान के 35 मिनट के भीतर जमीनी एजेंसियों से विमान का संपर्क टूट गया.