
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच 10 मई 2025 को हुई अहम बैठक के बाद दोनों देशों ने सीमा पर तनाव कम करने और अलर्टनेस घटाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई है. भारतीय सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने विश्वास बहाली के उपायों को जारी रखने का फैसला किया है.
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'एक भी गोली नहीं चलेगी' का वादा
भारत और पाकिस्तान के बीच यह सहमति बनी है कि "एक भी गोली नहीं चलाई जाएगी" और कोई भी आक्रामक या शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी. दोनों देशों के डीजीएमओ की ओर से यह संकल्प लिया गया कि सीमा और अग्रिम क्षेत्रों में सेना की मौजूदगी भी कम करने के उपाय किए जाएंगे, ताकि हालात सामान्य हो सकें.
12 मई को फिर हुई बातचीत
10 मई की बातचीत के बाद 12 मई को एक और वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों ने युद्धविराम को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई. यह बातचीत इस बात की पुष्टि करती है कि भारत और पाकिस्तान अपनी सीमाओं पर तनाव कम करने को लेकर गंभीर हैं.
ड्रोन घुसपैठ और फायरिंग ने चिंता बढ़ाई
हालांकि दोनों देशों ने युद्धविराम का पालन करने पर सहमति जताई है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से ड्रोन घुसपैठ और एलओसी पर गोलीबारी की घटनाएं फिर से सामने आईं. भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि शनिवार रात और रविवार सुबह पाकिस्तान की सेना ने इन समझौतों का उल्लंघन किया. उन्होंने इसे "निराशाजनक, लेकिन अपेक्षित" बताया.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तनाव चरम पर
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी. इसके बाद सीमा पर दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए थे. लेकिन अब डीजीएमओ स्तर पर बातचीत से तनाव कम करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत देखने को मिल रहा है.
हालांकि यह वार्ता और सहमति एक उम्मीद की किरण है, लेकिन बार-बार हो रही घुसपैठ और सीजफायर उल्लंघन इस शांति प्रक्रिया को चुनौती दे सकते हैं. भारत लगातार यह कहता आया है कि शांति तभी संभव है जब पाकिस्तान ईमानदारी से इन समझौतों का पालन करे.