नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बुधवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को टेरर फंडिंग मामले (Terror Funding Case) में सजा पर बहस के दौरान अदालत से कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के पलायन के लिए मलिक जिम्मेदार है. विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह (Praveen Singh) के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी ने मलिक को मौत की सजा की भी दलील दी. NIA कोर्ट ने यासीन मलिक को सुनाई उम्रकैद की सजा, अलगाववादी नेता ने खुद कबूल किया था गुनाह
दूसरी ओर, न्याय मित्र ने मामले में न्यूनतम सजा के रूप में आजीवन कारावास की मांग की.
मामले में अपराधों की सजा का इंतजार कर रहे मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआईए न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया. अदालत ने बुधवार की सुनवाई से पहले एनआईए अधिकारियों को टेरर फंडिंग मामले में उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने का भी निर्देश दिया था.
मलिक को उन मामलों में अधिकतम सजा के तौर पर सजा-ए-मौत और न्यूनतम सजा के रूप में उम्रकैद हो सकती है, जिन मामलों में वह शामिल रहा है. उस पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियां चलाने और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था.
उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था. सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिविधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) सहित अपने खिलाफ लगाए गए तमाम आरोपों का मुकाबला नहीं कर रहा था.
मौजूदा मामला विभिन्न आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिजबुल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) से संबंधित है.